नवदुनिया राज्य ब्यूरो, भोपाल। सिंहस्थ 2028 के लिए मंदसौर पशुपतिनाथ, खंडवा दादा धूनी वाले, भादवामाता, नलखेड़ा, ओंकारेश्वर आदि स्थलों को सम्मिलित करते हुए उज्जैन-इंदौर संभाग को समग्र धार्मिक-आध्यात्मिक सर्किट के रूप में विकसित किया जाएगा। यहां सुगम आवागमन और अधोसंरचना विकास के लिए विकसित की जा रही व्यवस्थाओं में जनभागीदारी को भी प्रोत्साहित किया जाए। यह निर्देश मुख्यमंत्री डा.मोहन यादव ने सिंहस्थ 2028 की प्रस्तावित कार्ययोजना की समीक्षा करते हुए दिए। सिंहस्थ महापर्व 27 मार्च से 27 मई 2028 तक होगा।
बैठक में उन्होंने कहा कि सिंहस्थ-2028 के लिए मेला क्षेत्र को सुव्यवस्थित रूप से विकसित किया जाए। क्षिप्रा नदी के घाटों का विस्तार किया जाए ताकि श्रद्धालुओं को स्नान करने में कोई परेशानी न हो। सड़क मार्ग से सिंहस्थ में आने वालों की संख्या बहुत अधिक होगी इसलिए पर्याप्त पार्किंग की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
पिछले सिंहस्थ में आए श्रद्धालुओं की शृंखला के आधार पर आगामी सिंहस्थ में आगंतुकों की संख्या का अनुमान लगाकर उज्जैन पहुंचने वाले सभी मार्गों पर मूलभूत सुविधाओं सहित गेस्ट हाउस विकसित किए जाएं। उज्जैन शहर में बड़ी संख्या में बने होटलों और धर्मशालाओं की व्यवस्था को भी सुदृढ़ किया जाए। उज्जैन से लगे ग्रामीण क्षेत्र में होम स्टे व्यवस्था को भी प्रोत्साहित किया जाए।
तीन शाही और सात पर्व स्नान प्रस्तावित- बैठक में बताया गया कि 27 मार्च से 27 मई 2028 तक होने वाले सिंहस्थ महापर्व में नौ अप्रैल से आठ मई के बीच तीन शाही और सात पर्व स्नान प्रस्तावित हैं। लगभग 14 करोड़ श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है। इसे देखते हुए इंदौर और उज्जैन संभाग के जिलों को सम्मिलित करते हुए प्रारंभिक कार्ययोजना बनाई गई है, जिसमें अधोसंरचना विकास से लेकर 19 विभागों से संबंधित लगभग 18 हजार 840 करोड़ के 523 कार्य प्रस्तावित हैं।
बैठक में मुख्य सड़कों के विकास, नवीन सड़कों के निर्माण, पेयजल, क्षिप्रा शुद्धीकरण, विद्युत आपूर्ति, कानून व्यवस्था, यातायात प्रबंधन, आवास व्यवस्था, पर्यटन स्थलों के विकास आदि विषयों पर विचार-विमर्श किया गया। इस दौरान नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा, जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट, मुख्य सचिव वीरा राणा, पुलिस महानिदेशक सुधीर सक्सेना सहित संबंधित विभागों को वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।