नईदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। अक्सर व्यक्ति स्वास्थ्य बीमा इसलिए लेता है कि बीमार होने पर अस्पताल का खर्च बीमा कंपनी भुगतान कर सके, लेकिन अक्सर बीमा कंपनियां तमाम बहाने बनाकर बीमा राशि देने से इनकार कर देती है। ऐसा ही एक मामला जिला उपभोक्ता आयोग बेंच-1 में पहुंचा। जिसमें उपभोक्ता ने बीमा लिया था। जब अस्पताल में भर्ती हुआ तो बीमा कंपनी ने इलाज में खर्च राशि को नहीं दी। चार साल बाद आयोग ने निर्णय सुनाया।
आयोग की अध्यक्ष गिरिबाला सिंह व सदस्य अंजुम फिरोज की बेंच ने निर्णय सुनाते हुए बीमा कंपनी पर 60 हजार रुपये देने का हर्जाना लगाया। दरअसल जिला उपभोक्ता आयोग में होशंगाबाद रोड निवासी डॉ. रणवीर सिंह, तेजिंदर सिंह व रमनिक कौर ने यूनाइटेड इंडिया इंश्योरंस व बंसल अस्पताल के खिलाफ याचिका 2020 में लगाई थी। इसमें शिकायत की थी कि उन्होंने पांच लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा लिया था। जिसका प्रीमियम 19 हजार रुपये का था। जब उनके पेट में दर्द हुआ और अस्पताल में भर्ती हुआ तो पेट संबंधी बीमारी इको-कार्डियोग्राफी की गई। उनके इलाज में 30 हजार रुपये का खर्च आया। बीमा कंपनी ने बीमा राशि देने से इनकार कर दिया।
वहीं, बीमा कंपनी ने तर्क रखा कि उपभोक्ता को पहले से ही पेट संबंधी बीमारी थी, लेकिन उन्होंने बीमा लेते समय छुपाया। साथ ही इतनी बड़ी बीमारी नहीं थी कि, जिसके लिए अस्पताल में भर्ती होना पड़े। इस आधार पर कंपनी ने क्लेम को निरस्त किया। उपभोक्ता ने तर्क रखा कि वह जानबूझकर अस्पताल में भर्ती नहीं हुआ, बल्कि डॉक्टरों की सलाह पर वह अस्पताल में भर्ती हुआ। इस संबंध में सभी दस्तावेज आयोग में जमा किए। आयोग ने बीमा कंपनी को इलाज में खर्च 30 हजार रुपये सहित 30 हजार रुपये मानसिक क्षतिपूर्ति राशि देने का आदेश दिया।
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