राज्य ब्यूरो, नईदुनिया, भोपाल। मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा और बैतूल में 17 बच्चों की जहरीले कोल्ड्रिफ कफ सिरफ से मौत के लिए कांग्रेस ने सरकार की लापरवाही को जिम्मेदार बताया है। मध्य प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार और राजस्थान के नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने नई दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय में संयुक्त पत्रकार वार्ता करके आरोप लगाया है कि गत चार सितंबर को पहले बच्चे की मौत होने के बाद भी मध्य प्रदेश सरकार नहीं जागी। जहरीले सीरफ की बात को नकारा जाता रहा। जब तमिल नाडु ने जांच कर जहरीले रसायन का उपयोग पाया, तब सरकार को हरकत में आना पड़ा।
दोनों कांग्रेस नेताओं ने कहा कि 24 अगस्त को छिंदवाड़ा में फिटकुरिया का पहला बच्चा भर्ती हुआ। इसके बाद यह संख्या बढ़ती गई। जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग तमिल नाडु की रिपोर्ट से पहले यह मानने का तैयार ही नहीं था कि कफ सीरप के कारण यह स्थिति बनी। वहां प्रतिबंध लगाने के बाद मध्य प्रदेश में रोक लगाई गई।
तमिल नाडु की रिपोर्ट के विपरीत प्रदेश सरकार की रिपोर्ट में नौ सैंपल साफ बताए गए। 10 सैंपलों की रिपोर्ट अभी लंबित है। प्रदेश में कफ सीरप को बड़े पैमाने पर नशे के तौर पर उपयोग किया जा रहा है। 2022 से अब तक इंदौर, सागर, भोपाल, रीवा और सतना में कोडीन युक्त खांसी की दवाइयों की लाखों बोतलें जब्त हुईं।
यह बताता है कि प्रदेश में नशे का नेटवर्क पुलिस की नाक के नीचे और राजनीतिक संरक्षण में पनप रहा है। कांग्रेस ने सरकार से दोषियों को सजा देने, जहरीली दवाओं की बिक्री पर रोक लगाने और बच्चों की सुरक्षा व पोषण पर गंभीरता से काम करने की मांग की।
सिंघार ने कहा कि प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं के हाल बुरे हैं। इंदौर के महाराजा यशवंतराव अस्पताल में दो नवजात को चूहों ने कुतर दिया, जिससे उनकी मृत्यु हो गई। प्रदेश में कुपोषण दर 7.79 प्रतिशत है, जो राष्ट्रीय औसत 5.4 प्रतिशत से अधिक है।