नई दुनिया, भोपाल: बुधवार को भोपाल में राजनीतिक माहौल उस समय गर्मा गया, जब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी किसानों के साथ पैदल मार्च करते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के सरकारी आवास “मामा का घर” पहुंच गए। किसानों ने शिकायत की कि उन्हें सोयाबीन का उचित मूल्य नहीं मिल रहा। इस मुद्दे को लेकर पटवारी ने किसानों के साथ सीहोर से भोपाल तक पैदल मार्च किया।
जीतू पटवारी के नेतृत्व में किसान जब लिंक रोड स्थित शिवराज सिंह चौहान के घर पहुंचे, तो सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मियों से झूमाझटकी हो गई। इसी दौरान किसानों के कंधे पर रखी गेहूं की बोरी फट गई और सड़क पर गेहूं बिखर गया। किसान वहीं धरने पर बैठ गए और “भावांतर नहीं, भाव चाहिए” के नारे लगाने लगे। सूचना मिलते ही केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान स्वयं बाहर आए और किसानों को सम्मानपूर्वक अंदर बुलाया। उन्होंने जीतू पटवारी और किसानों से बातचीत की और उनकी समस्याओं को सुना।
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के टीटीनगर क्षेत्र स्थित बंगले के बाहर प्रदर्शन करने पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी और कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष मुकेश नायक पर मामला दर्ज किया गया है। बिना अनुमति के धरना प्रदर्शन करने पर भोपाल की टीटीनगर पुलिस ने जीतू पटवारी, मुकेश नायक और अन्य के विरूद्ध बीएनएस की धारा 223 के तहत केस दर्ज किया है।
पटवारी ने कहा कि किसानों को मोदी सरकार की “गारंटी” के तहत वादा किए गए समर्थन मूल्य नहीं मिले। उन्होंने कहा, “धान का समर्थन मूल्य 3,100 रुपये, गेहूं का 2,700 रुपये और सोयाबीन का 6,000 रुपये प्रति क्विंटल बताया गया था, लेकिन किसानों को इसका लाभ नहीं मिला। सरकार अब भावांतर योजना लेकर आई है, जबकि 2017 में भी किसानों को इसका भुगतान नहीं हुआ था। इसलिए किसानों को भावांतर नहीं, उचित भाव चाहिए।”
उन्होंने आगे कहा कि किसानों की आर्थिक स्थिति बेहद खराब है। खंडवा, महिदपुर, तराना और उज्जैन में कई किसानों ने आत्महत्या तक कर ली। उन्होंने मांग की कि सरकार प्याज का समर्थन मूल्य 14-15 रुपये प्रति किलो तय करे, फसल बीमा योजना को प्रभावी बनाए और किसानों को 20,000 रुपये प्रति बीघा की सहायता दे।
हमें भावांतर नहीं, भाव चाहिए!
आज केंद्रीय कृषि मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी के भोपाल निवास पर किसान साथियों के साथ पहुँचकर, किसानों की समस्याओं पर चर्चा की!
खाद, बीज, और फसल का उचित मूल्य न मिलना, साथ ही कर्ज और खराब फसलों के कारण किसान आत्महत्या को मजबूर हो रहे हैं यह… pic.twitter.com/2LSJPPBBA9
— Jitendra (Jitu) Patwari (@jitupatwari) October 15, 2025
दूसरी ओर, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल ने पटवारी के इस कदम की निंदा की। उन्होंने कहा, “किसी भी दल का नेता इस तरह का प्रदर्शन नहीं करेगा। विरोध का तरीका होता है, लेकिन वे बिना सूचना के केंद्रीय मंत्री के घर पहुंच गए। इसके बावजूद शिवराज सिंह चौहान ने शालीनता दिखाते हुए उन्हें बुलाया और बात सुनी।”
भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल ने भी पटवारी पर निशाना साधते हुए कहा, “वे किसानों को बाहर छोड़कर खुद घर के अंदर चले गए। उनके कुर्ते पर तीन-चार माइक लगे थे, जिससे स्पष्ट है कि उद्देश्य केवल मीडिया सुर्खियां बटोरना था।”
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इस पूरे घटनाक्रम के बाद राजनीतिक हलकों में गरमागरमी बढ़ गई है। एक तरफ कांग्रेस किसानों के समर्थन में सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगा रही है, वहीं भाजपा इसे सस्ती लोकप्रियता पाने का ड्रामा बता रही है। भोपाल का यह पैदल मार्च आने वाले दिनों में मध्य प्रदेश की राजनीति में नया मोड़ ला सकता है।