
नवदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल: भोपाल में स्थित एक डेयरी उत्पाद व्यवसायी द्वारा उत्तर प्रदेश के कानपुर भेजा गया घी का पार्सल गंतव्य तक नहीं पहुंचने पर मामला जिला उपभोक्ता आयोग की बेंच क्रमांक-2 में पहुंचा। आयोग ने मामले की सुनवाई के बाद कोरियर कंपनी को सेवा में कमी का दोषी पाया और उस पर 15 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। साथ ही गुम हुए सामान के लिए निर्धारित शर्त के अनुसार 100 रुपये की प्रतिकर राशि अगस्त 2022 से सात प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित अदा करने का आदेश दिया गया है।
आयोग की अध्यक्ष गिरीबाला सिंह और सदस्य अंजुम फिरोज की बेंच ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि कंपनी दो माह के भीतर कुल 15,121 रुपये का भुगतान नहीं करती है तो उस पर 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज दर से अतिरिक्त जुर्माना लगाया जाएगा।
भानपुर निवासी और दया एवं साधना केन्द्र के संचालक विनय जैन ने मधुर कोरियर सर्विसेज, बैरसिया रोड के संचालक के खिलाफ 3 अगस्त 2022 को शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने बताया कि उनका केंद्र गौ संरक्षण और प्राकृतिक दूध उत्पाद से संबंधित कार्य करता है। देशभर से उन्हें ऑर्डर प्राप्त होते हैं, जिनकी डिलीवरी के लिए वे कोरियर सेवा का उपयोग करते हैं।
जून 2022 में उन्होंने 20 किलो (24 हजार रुपये मूल्य) का घी कानपुर भेजने के लिए पार्सल बुक किया था और 660 रुपये शुल्क भी जमा किए थे। न तो वह पार्सल कानपुर पहुंचा और न ही वापस लौटा। इससे उनके केंद्र की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा। कंपनी को जुलाई में लिखित सूचना देने के बावजूद कोई जवाब नहीं मिला।
कंपनी ने दावा किया कि विनय जैन “उपभोक्ता” की श्रेणी में नहीं आते और रसीद में यह स्पष्ट लिखा है कि पार्सल का मूल्य घोषित न होने की स्थिति में गुम होने पर 100 रुपये क्षतिपूर्ति ही दी जाएगी। आयोग ने माना कि पार्सल की डिलीवरी न होना अनुचित व्यापार व्यवहार और सेवा में कमी है। रसीद में दी गई शर्तों के आधार पर आयोग ने 100 रुपये प्रतिकर और 15 हजार रुपये जुर्माना अदा करने का आदेश दिया।
मामले में कंपनी का जवाब था कि आवेदक उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता। उन्होंने कहा कि उपभोक्ता ने जो रसीद दी है,उसमें स्पष्ट उल्लेख है कि उपभोक्ता बुकिंग काउंटर से 30 दिन के अंदर 100 रुपये क्षतिपूर्ति राशि प्राप्त कर सकता है।आयोग ने कहा कि इसमें कोई विवाद नहीं कि उपभोक्ता ने कोरियर कंपनी से पार्सल बुक किया था।
इसकी डिलिवरी नहीं कर अनुचित व्यापार और कोरियर कंपनी द्वारा सेवा में कमी की गई है। आयोग ने यह भी माना कि रसीद में स्पष्ट रूप से यह शर्त मौजूद है कि यदि पार्सल का मूल्य घोषित नहीं किया गया हो तो पार्सल गुम होने पर उपभोक्ता मात्र 100 रुपये ही पाने की पात्रता रखता है, इसलिए शर्त के अनुसार पार्सल की प्रतिकर राशि 100 रुपये देने का आदेश दिया गया।
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