शशिकांत तिवारी, नईदुनिया, भोपाल। मध्य प्रदेश में विषाक्त कोल्ड्रिफ कफ सीरप से 24 बच्चों की मौत के मामले में कई बच्चों के स्वजन बताते हैं कि डॉ. प्रवीण सोनी को कोल्ड्रिफ से इतना मोह था कि जिन बच्चों को खांसी नहीं होती थी, उन्हें भी यह दवा लिख देता था। इससे जान गंवाने वाले साढ़े तीन वर्ष के विकास यदुवंशी के पिता प्रभुदयाल ने यह बात 'नईदुनिया' को बताई।
उन्होंने बताया कि विकास को खांसी न होने के बाद भी डॉ. सोनी ने कोल्ड्रिफ लिखा था। उसी दिन विकास को उल्टी हुई और पेशाब बंद हो गई। सात दिन बाद उसकी मृत्यु हो गई। उधर, बुधवार सुबह छिंदवाड़ा जिले के चौरई क्षेत्र की साढ़े तीन साल की अंबिका विश्वकर्मा की नागपुर में उपचार के दौरान मौत हो गई। छिंदवाड़ा, बैतूल और पांढुर्णा के 24 बच्चों की मृत्यु हो चुकी है। अब भी दो बच्चे नागपुर के अस्पतालों में जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रहे हैं। अंबिका के स्वजन ने बताया कि उसे 14 सितंबर को नागपुर ले गए थे। वहां डॉक्टरों ने जांच में किडनी फेल होने की पुष्टि की थी।
तमिलनाड़ु में गिरफ्तार केमिकल एनालिस्ट को लेकर छिंदवाड़ा पहुंची पुलिस मध्य प्रदेश से जांच के लिए दोबारा तमिलनाडु पहुंची एसआइटी ने वहां मंगलवार को कोल्ड्रिफ सीरप बनाने वाली श्रीसन कंपनी के केमिकल एनालिस्ट के माहेश्वरी को गिरफ्तार किया। एसआइटी उसे लेकर बुधवार को छिंदवाड़ा पहुंची। पूछताछ के लिए पुलिस उसे रिमांड पर लेने की तैयारी में है। माहेश्वरी की जिम्मेदारी यह देखने की थी कोल्ड्रिफ बनाने के लिया खरीदा गया प्रोपेलीन ग्लायकाल (जिसमें डायथिलीन ग्लायकाल की मात्रा ज्यादा रहती है) औषधीय उपयोग वाला था या औद्योगिक। इसके बाद तैयार सीरप की जांच की जिम्मेदारी उसकी थी।
बता दें, कोल्ड्रिफ में 48.6 प्रतिशत डायथिलीन ग्लायकाल (डीईजी) होने की वजह से बच्चों की मौत हुई है। इसकी मात्रा 0.1 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकती। इसके पहले एसआइटी ने कंपनी के मालिक जी. रंगनाथन को गिरफ्तार किया था। वह 20 अक्टूबर तक के लिए पुलिस हिरासत में है। हर तरफ गठजोड़ डॉ. प्रवीण सोनी का लालच इस स्तर का था कि तीन माह के बच्चों को भी उसने कफ सीरप लिखा, जबकि स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (डीजीएचएस) की वर्ष 2023 की गाइडलाइन में साफ निर्देश है कि चार वर्ष से छोटे बच्चों को कोल्ड्रिफ के फिक्स डोज कांबिनेशन वाला कफ सीरप नहीं लिखा जा सकता।
कोल्ड्रिफ से जान गंवाने वालों में से पूर्वी अदमाची पांच माह, सहरीश सय्यद अली छह माह, संध्या बोसुम और ढाणी डेहरिया डेढ़ वर्ष के थे। पुलिस सूत्रों के अनुसार डॉ. सोनी को इस कफ सीरप में 10 प्रतिशत कमीशन मिल रहा था। क्लीनिक से जुड़ी दवा की दुकान डॉ. सोनी की पत्नी ज्योति का था। बच्चों के स्वजन को कोल्ड्रिफ व अन्य दवाएं खरीदने यहीं से खरीदने के लिए कहा जाता था। कोल्ड्रिफ का स्टॉकिस्ट राजेश सोनी है जो डॉ. प्रवीण सोनी का भतीजा बताया जाता है। इसी से गठजोड़ पता चलता है।
प्रभुदयाल ने यह भी बताया कि डॉ. प्रवीण सोनी ने उपचार के रुपये कम पड़ने पर रोगी का पर्चा अपने पास जमा कर लिया था और जेवर गिरवी रखने के लिए कहा था। परासिया में डॉ. सोनी के क्लीनिक के आसपास ही उनके रिश्तेदारों की ज्वेलरी की दुकानें हैं। वहीं, जेवर गिरवी रखने का कार्य करते थे। उन्होंने बताया कि सबसे पहले 19 सितंबर को विकास को लेकर डॉ. सोनी के पास सुबह 11 बजे के करीब पहुंचे थे। क्लीनिक में देखने के बाद अपने अस्पताल में भर्ती कर लिया। दो हजार रुपये का बिल बना, पर इतने रुपये उनके पास नहीं थे। इस कारण पत्नी की पायल गिरवी रखी। प्रभुदयाल रोते हुए कहते हैं जब बेटा ही दुनिया से चला गया तो अब पायल लेकर क्या करेंगे।