नईदुनिया प्रतिनिधि, जबलपुर। मध्य प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय जल्द ही जबलपुर में देश का पहला हिंदी चिकित्सा कॉलेज आरंभ करने जा रहा है। एमबीबीएस की 50 सीटों के साथ यह कॉलेज शैक्षिक सत्र 2027-28 से आरंभ होगा। इसमें पढ़ाई हिंदी माध्यम से कराई जाएगी। विश्वविद्यालय कार्य परिषद की हरी झंडी मिलने के बाद प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा गया है। इसके लिए एक करोड़ रुपये का प्रारंभिक बजट भी प्रस्तावित किया गया है।
विश्वविद्यालय ने मातृभाषा हिंदी में इसे ‘कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस’ के रूप में विकसित करने की योजना बनाई है।विश्वविद्यालय ने जो एक करोड़ रुपये का बजट प्रस्तावित किया है, उससे शिक्षकों का प्रशिक्षण, विशेषज्ञों के सम्मेलन, संगोष्ठियां कराई जाएंगी और प्रचार-प्रसार में राशि खर्च होगी।
अभी तक विश्वविद्यालय स्वयं कोई कॉलेज संचालित नहीं करता है। सिर्फ संबद्धता और परीक्षा संबंधी कार्य ही विश्वविद्यालय के जिम्मे होते हैं। अब विश्वविद्यालय का अपना कॉलेज होने से अकादमिक गुणवत्ता भी निखरेगी।
हिंदी में चिकित्सा की पढ़ाई से ग्रामीण व आदिवासी अंचल से आने वाले छात्रों को सुविधा हो जाएगी। यह प्रस्ताव यूनिवर्सिटी की कार्य परिषद की बैठक में पारित हुआ है। कॉलेज, नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज जबलपुर के अस्पताल से संबद्ध रहेगा और एनएमसी के सभी मानकों के अनुरूप तैयार किया जाएगा। कॉलेज को पूरी तरह आवासीय बनाया जाएगा। राज्य शासन से मंजूरी और एनएमसी से मान्यता के बाद निर्माण व फैकल्टी चयन की प्रक्रिया शुरू होगी।
मध्य प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय (एमयू) अपना जनरल भी हिंदी में प्रकाशित करेगा। कॉलेज के शुरू होने के साथ भाषाई दिक्कत शिक्षकों व छात्रों को न आए, इस दिशा में एमयू सतत कार्य में जुटा हुआ है। हिंदी पाठ्यक्रम को ध्यान में रखते हुए एमयू ऐसी लाइब्रेरी पर काम कर रहा है जिसमें कोर्स से संबंधित पाठ्य पुस्तकें हिंदी में अनुवादित होंगी।
कार्य परिषद की स्वीकृति के बाद नए कॉलेज का मसौदा राज्य सरकार को भेज दिया गया है। वहां से अनुमति के बाद इस दिशा में कार्य और तेज हो सकेगा। उम्मीद है जल्द ही सरकार इस पर फैसला लेगी। वैसे यह अपनी तरह का देश में पहला कॉलेज होगा, जहां चिकित्सा की पढ़ाई हिंदी में होगी। - डॉ. पुष्पराज सिंह बघेल, कुलसचिव मप्र आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय जबलपुर।