प्रशांत व्यास, नईदुनिया, भोपाल। साइबर धोखाधड़ी में अब बैंककर्मियों की मिलीभगत भी सामने आने लगी है। अकेले भोपाल में ऐसे कई फर्जीवाड़े हो चुके हैं। एमपी नगर स्थित आइसीआइसीआइ बैंक की शाखा में बीते दिनों हेल्थ इंश्योरेंस एजेंट आदित्य तोमर ने ग्राहक की जानकारी के बिना उसके केवाइसी दस्तावेजों से खाता खोल दिया। इसमें बैंक मैनेजर सुमित मेवाड़ी भी मिला हुआ था। खाते में करोड़ों का लेनदेन हुआ, उसके बाद खाता बंद कर दिया गया।
लेनदेन पर आयकर की नजर पड़ी और नोटिस जारी हुआ, तो पीड़ित के होश उड़ गए। मामला पुलिस तक पहुंचा, तो बैंक प्रबंधक सहित तीन पर एफआइआर हुई। इससे पहले नवंबर 2024 में फर्जी दस्तावेजों से बैंकों में खाता खुलवाकर साइबर ठगों को बेचने वाले गिरोह का भंडाफोड़ हुआ था। हनुमानगंज थाना पुलिस ने सात लोगों को गिरफ्तार किया था।
मूलत: बिहार के रहने वाले ये लोग बैंककर्मियों की मिलीभगत से फर्जी दस्तावेज तैयार कर खाते खोलते थे और दस-दस हजार रुपये में बेचते थे। एक मामला अयोध्या नगर में सामने आया था, जहां एमपी नगर स्थित एक बैंक मैनेजर की शह पर म्यूल खातों का धंधा चल रहा था। वहीं, एक महिला के आइसीआइसीआइ बैंक खाते से बिना ओटीपी के 82 हजार रुपये निकाल लिए गए थे। पीड़िता ने बैंक से शिकायत की, तो उनका कहना था कि जब रुपये मिल जाएंगे, तो दे दिए जाएंगे।
साइबर ठगी पर बैंकिंग समिति के साथ बैठक होती है। बैंककर्मियों की संदिग्ध भूमिका सामने आने के बाद जांच के लिए कहा गया था। बैंकों से संदिग्ध लेनदेन की जानकारी मांगी है। आरोपियों पर केस किया गया है।
- हरिनारायणचारी मिश्र, पुलिस आयुक्त भोपाल
खाते खुलवाने के टारगेट को पूरा करने और कई बार साइबर ठगों के साथ मिलीभगत कर बैंककर्मी फर्जी खाते खोल देते हैं। जरूरी है कि पुलिस, बैंकिंग और टेलीकाम विभाग समन्वय स्थापित कर इन मामलों को रोकें।
- महेश श्रीवास्तव, साइबर विशेषज्ञ
बैंक खाते खोलने को लेकर आरबीआइ की गाइडलाइन है, जिसमें सत्यापन का जिक्र किया गया है। यदि कहीं इसका पालन नहीं हुआ, तो हम अपने स्तर पर आंतरिक जांच कर रहे हैं। जल्द ही बैंकर्स कमेटी सभी बैंकों को एडवाइजरी भी जारी करेगी। - धीरज गोयल, अध्यक्ष, स्टेट लेवल बैंकर्स कमेटी