
Dahir Sen Shaheed Diwas : संत हिरदाराम नगर (नवदुनिया प्रतिनिधि)। प्रजा के प्रति बेहद संवेदनशील और लोक कल्याणकारी शासकों को याद करते ही सिंध के अंतिम सम्राट महाराजा दाहिरसेन की यादें ताजा हो जाती हैं। उनका जीवन चरित्र युवाओं को देश के लिए सर्वस्व कुर्बान करने की प्रेरणा देता है। मंगलवार को महाराज दाहिरसेन का शहीदी दिवस मनाया गया। इस मौके पर नवदुनिया ने सिंधी समाज के प्रबुद्घजनों से बात की।
दाहिरसेन सिंध के शासक महारा चच के पुत्र थे। उनकी आकस्मिक मौत के समय दाहिरसेन मात्र 12 साल के थी। किशोर अवस्था में ही उन्हें सिंध की बागडोर संभालनी पड़ी थी। चाचा इंद्रसेन भी उनकी मदद करते थे। कुछ समय बाद इंद्रसेन की भी मौत हो गई। अब पूरी जिम्मेदारी युवा दाहिरसेन के कंधों पर आ गई। 18 साल की आयु में वे सिंध के पूर्ण शासक यानि सम्राट बने। सम्राट बनते ही उन्होंने जन कल्याणकारी योजनाएं प्रारंभ कीं। प्रेम, एकता, धार्मिक सद्भावना और भाईचारे के कारण दाहिरसेन की ख्याति फैल गई।
देशभक्ति और सेवा का जुनून
दाहिरसेन में देश के प्रति मर मिटने का जुनून था। एक तरफ मानव कल्याण के काम दूसरी तरफ देश की रक्षा का दायित्व उन्होंने बखूबी संभाला। सिंध की खुशहाली देख इस्लामी सेना ने अनेक हमले किए लेकिन दाहिरसेन की बहादुरी के आगे किसी की एक न चली। अरब सिपाहसालार मोहम्मद बिन कासिम ने छल कपट से दाहिरसेन को मारने की योजना बनाई। देश की रक्षा करते दाहिरसेन 43 साल की आयु में 16 जून 712 को शहीद हो गए। उनकी पत्नी लाडीदेवी एवं बेटी पदम भी दुश्मनों से मुकाबला करते हुए शहीद हो गईं।
युवाओं के प्रेरणास्त्रोत हैं दाहिरसेन
महाराजा दाहिरसेन जैसे शासक इतिहास में बहुत कम मिलते हैं। प्रजा के दुख को अपना दुख समझकर सेवा करना दाहिरसेन अपना कर्तव्य समझते थे। जिस उम्र में युवा विकारों से घिरे रहते हैं उस आयु में दाहिरसेन ने जनता की खुशहाली के लिए काम किया। उनकी शहादत व्यर्थ नहीं जाएगी। युवाओं के लिए वे हमेशा प्रेरणा स्त्रोत रहेंगे। - साबू रीझवानी, अध्यक्ष पूज्य सिंधी पंचायत
दाहिरसेन और उनका व्यक्तित्व अमर है
महाराज दाहिरसेन जैसे सम्राट और उन जैसे व्यक्तित्व कभी मर नहीं सकते। सिंध में अरब सेना ने बार-बार आक्रमण किया लेकिन दाहिरसेन और उनके जुनूनी जत्थे के आगे किसी की नहीं चली। आखिर छलकपट से महान शासक की जान ले ली गई। दाहिरसेन के जीवन चरित्र से युवाओं के साथ वर्तमान शासकों को भी प्रेरणा लेना चाहिए। वे अमर हैं। - नरेश गिदवानी, पूर्व निदेशक मप्र सिंधी सहित्य अकादमी
दाहिरसेन को श्रद्धांजलि दी
पूज्य सिंधी पंचायत ने दाहिर सेन को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। सुरक्षित शारीरिक दूरी रखने के चलते कार्यक्रम को तीन लोगों के साथ संक्षिप्त रुप से आयोजित कर लिया गया।