नवदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश ने शनिवार को कहा कि इंटरनेट मीडिया दोधारी तलवार है। इसकी स्वच्छंदता को नियंत्रित नहीं किया गया तो हमारी स्वतंत्रता पर खतरा आ जाएगा। दूसरी ओर प्रिंट मीडिया आज भी जिम्मेदार है। यहां आपत्ति और शिकायत दर्ज करवाई जा सकती है। समाचार पत्र की विश्वसनीयता आज भी सबसे ऊपर है। हरिवंश माधवराव सप्रे समाचार पत्र संग्रहालय एवं शोध संस्थान सभागार में हिंदी पत्रकारिता द्वि-शताब्दी समारोह को संबोधित कर रहे थे।
इसमें उन्होंने नवदुनिया/नईदुनिया एवं दैनिक जागरण समूह के कार्यकारी संपादक विष्णु प्रकाश त्रिपाठी को "माधवराव सप्रे राष्ट्रीय पत्रकारिता सम्मान" से सम्मानित किया। इस सम्मान से हरिवंश भी विभूषित हो चुके हैं। हरिवंश ने कहा कि शुरुआत में विचारों को लेकर ही समाचार पत्र शुरू हुए। आज तकनीक का युग है। तकनीक ही दुनिया बदल रही है। एआइ आने के बाद इसमें और तेजी आई है। डिजिटल और इंटरनेट मीडिया ने हमारे आपसी संवाद को खत्म कर दिया है।
यह तकनीक मानव मस्तिष्क को नियंत्रित कर रही है। समारोह की अध्यक्षता भारतीय प्रेस परिषद के वरिष्ठ सदस्य प्रकाश दुबे ने की। समारोह में "महेश गुप्ता सृजन सम्मान" से प्रेरक वक्ता डा. विजय अग्रवाल और "मनोज पाठक न्यू मीडिया पुरस्कार" से राकेश मालवीय को सम्मानित किया गया। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं जनसंचार विवि के कुलगुरु विजय मनोहर तिवारी और सप्रे संग्रहालय के संस्थापक संयोजक विजयदत्त श्रीधर ने भी समारोह को संबोधित किया।
विष्णु प्रकाश त्रिपाठी ने कहा कि यह सम्मान मेरा नहीं बल्कि नवदुनिया/नईदुनिया और दैनिक जागरण और के 11 राज्यों में फैले तीन हजार से अधिक पत्रकारों का सम्मान है, जो विपरीत परिस्थितियों में रहकर पत्रकारिता और समाचार पत्र को ऊंचाई पर ले जाने के लिए प्रयासरत हैं।
वे देवतुल्य साथी हैं, जिनके कारण ही यह सम्मान प्राप्त करने का अवसर मिला है। यह उन साथियों के पुरुषार्थ और समर्पण का सम्मान है, जिसे उनके प्रतिनिधि के रूप में मैं ग्रहण कर रहा हूं। यह नवदुनिया/नईदुनिया एवं दैनिक जागरण समूह के राष्ट्र और समाज के प्रति निभाए जा रहे कर्तव्य का सम्मान है।
उन्होंने सम्मान के साथ मिली धनराशि सप्रे संग्रहालय को ही समर्पित कर दिया, ताकि इससे संग्रहालय का ही प्रकल्प आगे बढ़े। उन्होंने यह भी कहा कि संभव हुआ तो इस प्रकल्प के लिए कुछ करने का प्रयास करूंगा। विष्णु प्रकाश त्रिपाठी ने समाचार माध्यमों में शब्दों के प्रयोग को लेकर सचेत करते हुए कहा कि अब गलत संदर्भों में अनुचित शब्द प्रयुक्त होने लगे हैं। इससे बचने के लिए पत्रकारों को पढ़ना और शब्दों पर चर्चा करते रहना जरूरी है।