
नईदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। सुप्रीम कोर्ट की सख्ती और कई शहरों में प्रदूषण का खतरनाक स्तर होने के बाद भी पराली जलाने की घटनाएं रुक नहीं पा रही हैं। स्थिति यह है कि नवंबर माह में अब तक इसके लिए संवेदनशील पांच बड़े राज्यों में पराली जलाने के 21 हजार 266 मामले सामने आए हैं। इनमें अकेले मध्य प्रदेश में 11 हजार 442 यानी 50 प्रतिशत से अधिक मामले हैं। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा सैटेलाइट से लिए गए चित्रों के अनुसार, चौंकाने वाली बात यह है कि गत 16 नवंबर को एक ही दिन में 1520 मामले मध्य प्रदेश में दर्ज किए गए हैं।
इसी माह नवंबर में उत्तर प्रदेश में 3780, पंजाब में 3434, राजस्थान में 2104, हरियाणा में 3218 और दिल्ली में दो मामले दर्ज किए गए। बता दें कि सैटेलाइट इमेजरी के माध्यम से पराली जलाने के मामलों की निगरानी और पुष्टि की जाती है, लेकिन ऐसे मामले लगातार सामने आने के बाद भी पराली जलाने वालों पर कार्रवाई में ढिलाई की जा रही है। मध्य प्रदेश का उदाहरण लें तो राजधानी भोपाल तक में एफआईआर दर्ज नहीं कराई जा रही है। यह स्थिति तब है जब प्रदेश के चार महानगर- भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर और इंदौर की हवा में आए दिन प्रदूषण गहरा जाता है।
इन महानगरों का वायु गुणवत्ता सूचकांक खतरनाक या मध्यम श्रेणी में है। प्रदेश के मुख्य सचिव अनुराग जैन द्वारा सभी कलेक्टरों को पराली जलाने के मामले में कार्रवाई के निर्देश के बाद कुछ दिन प्रशासन ने सतर्कता दिखाई लेकिन फिर ढिलाई शुरू हो गई। पिछले पांच दिन में सिर्फ दतिया में एक किसान के विरुद्ध एफआईआर की जानकारी सामने आई है। अन्य सालों से तुलना करें तो नवंबर अंत तक पराली जलाने के मामलों की यही स्थिति रह सकती है। इसके बाद धीरे-धीरे कमी आएगी। हालांकि, तब तक आंकड़ा 15 हजार से अधिक पहुंच जाएगा, जो मध्य प्रदेश में अब तक की सर्वाधिक संख्या होगी। यह अच्छी बात है कि अभी कोहरा नहीं पड़ रहा है नहीं तो पराली के धुआं से प्रदूषण का स्तर वर्तमान से डेढ़ से दो गुना तक बढ़ सकता था।
शहर -- एक्यूआई-- श्रेणी
भोपाल- 289 - खराब
ग्वालियर - 289 - खराब
जबलपुर -207 - खराब
सागर - 236 - खराब
इंदौर - 133 - मध्यम
देवास - 178 - मध्यम
नोट : एक्यूआई का स्तर 0 से 50 को अच्छा, 51 से 100 को संतोषजनक माना जाता है।
तिथि-- मप्र-- उप्र -- पंजाब-- राजस्थान -- हरियाणा
21 ---1125 -- 250 -- 30 -- 82 -- 11
20 -- 625 -- 98 -- 12 --58-- 2
19 -- 658 -- 115 -- 16 -- 90-- 11
18 -- 641 -- 377-- 15-- 65 -- 6
17 -- 822 -- 384 -- 31 -- 103 -- 10
16 -- 1520 -- 461 -- 95 -- 125 -- 47