नईदुनिया प्रतिनिधि। कहते हैं कि सपनों को पूरा करने के लिए हालात से लड़ना पड़ता है, और हिम्मत व जुनून ही इंसान को वहां पहुंचाते हैं, जहां तक वह खुद भी सोच नहीं पाता। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है मुरैना जिले के पिपरसा गांव के रहने वाले धर्मवीर पाल (Dharamvir pal) ने। जिन्होंने जिंदगी की शुरुआत बेहद कठिन परिस्थितियों में की, होटल में प्लेट धोने का काम किया, लेकिन आज भारतीय व्हीलचेयर क्रिकेट टीम का प्रतिनिधित्व करते हैं और टीम इंडिया के 12वें खिलाड़ी के रूप में पहचाने जाते हैं।
धर्मवीर पाल दिव्यांग हैं, लेकिन उनका क्रिकेट के प्रति जुनून कभी कमजोर नहीं पड़ा। बचपन में वह अक्सर अपने गांव पिपरसा से मुरैना क्रिकेट मैदान तक सिर्फ इसीलिए जाते थे, ताकि खिलाड़ियों को खेलते देख सकें और खुद भी उनके साथ प्रैक्टिस कर सकें। बैटिंग और फील्डिंग करते हुए उन्होंने अपने सपनों को जीना शुरू कर दिया था।
साल 2005 में उनकी जिंदगी का अहम मोड़ आया। उस समय के मुरैना कलेक्टर डॉ. मनोहर अगनानी ने उनकी प्रतिभा को देखा और ग्वालियर में ट्रायल के लिए भेजा। हालांकि उस वक्त वह मध्यप्रदेश टीम में सिलेक्ट नहीं हो पाए। हार मानने के बजाय धर्मवीर ने संघर्ष जारी रखा।
जीवनयापन के लिए उन्हें दिल्ली जाना पड़ा, जहां उन्होंने एक होटल में प्लेट धोने की नौकरी शुरू की। शायद किसी और के लिए यह अंत होता, लेकिन धर्मवीर ने इसे अपनी मंजिल की शुरुआत बना लिया।
2006 में उन्हें पता चला कि भारत और श्रीलंका का मैच मोहाली (पंजाब) में होने वाला है। उन्हें यह भी नहीं पता था कि मोहाली भारत में है या पाकिस्तान में। लोगों से पूछताछ करते हुए, ट्रेन में बैठकर वह वहां पहुंचे। किस्मत ने यहीं से करवट बदली।
पंजाब क्रिकेट एसोसिएशन के पिच क्यूरेटर दलजीत सिंह से उनकी मुलाकात हुई और उन्होंने धर्मवीर को बाल ब्वॉय बना दिया। इसके बाद तो धर्मवीर हर सीरीज और हर टूर्नामेंट में भारतीय क्रिकेट टीम के साथ जुड़ गए।
धर्मवीर बताते हैं कि भारतीय टीम के खिलाड़ी उन्हें परिवार की तरह मानते हैं। यही वजह रही कि वह हर सीरीज में टीम इंडिया का हिस्सा बने रहे। उन्होंने भारतीय टीम के साथ वेस्टइंडीज, ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, साउथ अफ्रीका और न्यूजीलैंड जैसे देशों का दौरा किया।
साल 2007 में उन्होंने पहली बार टीम इंडिया के साथ वेस्टइंडीज का विदेशी दौरा किया। इस दौरान पासपोर्ट बनवाने में भी मुरैना के तत्कालीन कलेक्टर डॉ. मनोहर अगनानी ने उनकी मदद की थी।
धर्मवीर पाल केवल टीम इंडिया के बाल ब्वॉय ही नहीं रहे। वह मध्यप्रदेश व्हीलचेयर क्रिकेट टीम के कप्तान भी बने और अब भारतीय व्हीलचेयर क्रिकेट टीम का हिस्सा हैं। अक्टूबर में गोवा में होने वाले परपल फेस्ट में भी वह देश का प्रतिनिधित्व करेंगे।
32 वर्षीय धर्मवीर पाल आज युवाओं के लिए मिसाल हैं। उन्होंने साबित किया है कि हालात चाहे कितने भी मुश्किल क्यों न हों, अगर जुनून और मेहनत हो तो कोई भी सपना अधूरा नहीं रहता। एक समय प्लेट धोने वाले धर्मवीर आज देश के क्रिकेट इतिहास में प्रेरणा बन चुके हैं। उनकी कहानी हमें सिखाती है कि "जिंदगी में जीत उन्हीं की होती है, जो हार मानने से इनकार कर देते हैं।"