भोपाल(राज्य ब्यूरो)। गरीब महिलाओं को रोजगार देने की कोशिश के चलते प्रदेश में खोले गए 'दीदी कैफे" ने अपनी सादगी से साख बना ली है। प्रदेश के 52 जिलों में 127 कैफे चलाए जा रहे हैं, पहले महीने में एक लाख का कारोबार करने वाले यह कैफे सात महीने में 35 लाख का कारोबार करने लगे हैं। कैफे की चाय और नाश्ता खासा पसंद किया जा रहा है। इस सफलता को देखते हुए पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ऐसे 158 कैफे और खोलने की तैयारी कर रहा है।
घरों में झाड़ूपोंछा और निर्माण कार्यों में मजदूरी करने वाली महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने पिछले साल दीदी कैफे शुरू किए हैं। प्रदेश के सभी 52 जिलों के प्रत्येक विकास खंड में कैफे शुरू करने की कार्ययोजना भी बनाई गई है।
उसी महिला को इसका सदस्य बनाया जाता है, जो स्व-सहायता समूह की सदस्य हैं। ऐसी करीब डेढ़ हजार महिलाएं मिलकर 127 कैफे संचालित कर रही हैं। कैफे खोलने के लिए जिला प्रशासन ने जगह उपलब्ध कराई है और समूहों ने सदस्यों को कर्ज दिया है। इन कैफे ने महज सात महीने में अपनी सादगी और स्वादिष्ट नाश्ता-चाय के बल पर अच्छी साख बना ली है। इसका असर यह हुआ है कि शुरूआत में एक लाख रुपये से भी कम का मासिक कारोबार करने वाले 127 कैफे अब 35 लाख रुपये कमा रहे हैं। प्रत्येक कैफे हर महीने औसत 28 हजार रुपये का कारोबार कर रहा है।
ज्यादा आवाजाही वाली जगह पर खोले गए कैफे
यह कैफे उन स्थानों पर खुलवाए गए हैं, जहां आवाजाही ज्यादा है। पहले कलेक्ट्रेट, जिला पंचायत, तहसील और जनपद-जिला पंचायत कार्यालय परिसर में कैंटीन के ठेके दिए जाते थे। अब उनके स्थान पर यह कैफे खुलवाए गए हैं।
निवाड़ी-होशंगाबाद में सबसे ज्यादा कैफे
निवाड़ी और नर्मदापुरम(होशंगाबाद) जिले में अभी सबसे ज्यादा सात-सात कैफे संचालित हैं। उज्जैन में छह और उमरिया, शाजापुर, रतलाम, सतना, रायसेन में पांच-पांच कैफे संचालित हैं।
इनका कहना है
महिलाओं को रोजगार देने के उद्देश्य से पिछले साल दीदी कैफे शुरू किए गए हैं। यह प्रयोग काफी सफल रहा है। कैफे के कारोबार में अपेक्षाकृत वृद्धि हुई है। हम नए कैफे खोलने की तैयारी कर रहे हैं।
एमएल बेलवाल, प्रबंध संचालक, राज्य आजीविका मिशन