भोपाल। दीवाली पर पूजा के लिए देवी लक्ष्मी और गणेश की खूबसूरत मूर्तियां मार्केट में उपलब्ध है। इसमें सोने, चांदी, पीतल और मिट्टी की मूर्तियां भी शामिल है। व्यक्ति की डिमांड के अनुसार मूर्तिंया तैयार की जाती है। जानकारों के अनुसार, सभी का अलग-अलग महत्व होता है। उनका कहना है कि लोग अपनी परंपरा और व्यवस्था के अनुसार मूर्तियां लेना पसंद करते है। जरूरी नहीं कि, सभी किसी एक ही धातु की मूर्तियों का इस्तेमाल करें। वहीं, सराफा व्यापारियों का कहना है कि, इस समय सबसे ज्यादा चांदी की मूर्तियों की डिमांड है। लोग अपने घर में स्थाई देव प्रतिमा के रूप में चांदी की मूर्तियां को ही महत्व देते हैं।
डिजाइनर मूर्तिंयां हैं उपलब्ध
आभूषण ज्वेलर्स के अशोक भार्गव बताते हैं कि, मार्केट में उपलब्ध मूर्तिंयों में मीनकारी और मोती वर्क के साथ स्टोन वर्क भी खूब पसंद किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि कस्टमर्स की पसंद में मीनकारी वर्क के साथ स्टोन वर्क शामिल है। इसमें रेड, पिंक, ग्रीन, मजेंट, ऑरेंज, यलो जैसे कलर्स उपलब्ध हैं। चांदी के साथ स्टोन वर्क से सजी मूर्तिंयां भी पसंद की जाती है लेकिन इनकी सफाई और देखरेख का खास ध्यान रखना पड़ता है। इसलिए प्लने चांदी या मीनाकारी वर्क की मूर्तिंयों की ज्यादा डिमांड होती है।
शुद्घ चांदी का इस्तेमाल
सराफा व्यापारी नवनीत अग्रवाल ने बताया कि पूजा के लिए मुख्य रूप से 'शुद्घ चांदी' की मूर्तियों को तैयार किया जाता है। चांदी की मूर्तियां बनाने के ऑर्डर भी लिए जाते है। पूजा की मूर्तियां मीडियम साइज तक की उपलब्ध होती है, यदि किसी को बड़ी मूर्तियां चाहिए, तो उसके लिए करीब एक महीने पहले से ऑर्डर देना होता है। इस समय मार्केट में 500 रुपए से लेकर 5000 रुपए तक कीमत की मूर्तियां उपलब्ध हैं। धातु के भाव कम या ज्यादा होने से इसका असर मूर्तियों की कीमत पर भी पड़ता है। नवनीत कहते हैं कि 'शुद्घ चांदी' की पहचान करना कस्टमर के लिए मुश्किल होता है। इसके लिए टेस्ट लैब बनी हुई है, जहां चांदी की टेस्टिंग होती है। इसमें मूर्तिं या ज्वेलरी का आकार बदल जाता है। उनका कहना है कि ज्वेलरी अपने विश्वसनीय दुकान से ही लेनी चाहिए।
गोल्ड-सिल्वर प्लेटेड मूर्तिंयां
नवनीत ने बताया कि, शहर में चाइनीज चांदी की मूर्तिंयां नहीं सेल की जाती है। लेकिन, किसी अन्य धातु से तैयार मूर्तियां उपलब्ध हैं। इन पर की गई चांदी और सोने की पॉलिश से इन्हें सजाया जाता है। इसके अलावा चाइनीज ज्वेलरी भी उपलब्ध है। चाइनीज मूर्तियों में फिनिशिंग ज्यादा अच्छी होती है, इन्हें प्लेटेड मूर्तिंया कहा जाता है। नवनीत के मुताबिक, अक्सर गिफ्ट करने के लिए कस्टमर्स इसी तरह की मूर्तियों की डिमांड करते हैं।
खत्म हो गया सराफा मार्केट
ज्वैलर अशोक भार्गव बताते हैं कि, पुष्य नक्षत्र या धनतेरस पर लगभग 5 साल पहले तक सराफा मार्केट में अच्छा बिजनेस होता था। लेकिन, इन दिनों मार्केट में बहुत जल्दी-जल्दी उतार चढ़ाव होते हैं। पहले लोग मूर्तियां, चांदी के बर्तन, ज्वेलरी सहित अन्य चीजें भी खरीदना पसंद करते थे। लेकिन, अब सेलेरी से ज्यादा लोग लाइफस्टाइल प्रोडक्ट्स खरीद लेते हैं, और लंबे समय तक उसकी ईएमआई चुकाते रहते हैं। यही वजह है कि, धनतेरस जैसे त्यौहारों पर कोई बड़ी खरीदारी नहीं करता। अधिकतर लोग ऐसे छोटे आटम्स ही लेते हैं, जो डिस्ट्रीब्यूटेड सेलेरी में एडजेस्ट हो सके।
लक्ष्मी के साथ हो गणेश की पूजा
धर्म शास्त्रों की मान्यताओं के अनुसार, देवी लक्ष्मी के पास किसी चीज की कोई कमी नहीं है। लेकिन, व्यक्ति देवी की आराधना से मिली धन-दौलत का सही इस्तेमाल करे, इसके लिए उसे बुद्घि चाहिए। श्रीगणेश बुद्घि के देवता हैं यही वजह है कि देवी लक्ष्मी के साथ उनकी भी पूजा की जाती है। श्रीगणेश को सभी देवी-देवताओं में सबसे ज्यादा बुद्घिमान माना गया है। उनकी सबसे पहले पूजा भी होती है।
जरूरी नहीं धातु की मूर्ति
पंडित धर्मेन्द्र शास्त्री बताते हैं कि, जरूरी नहीं पूजा के लिए चांदी या सोने की ही मूर्ति का इस्तेमाल किया जाए। मिट्टी की मूर्ति को सबसे शुद्घ माना जाता है इसलिए, लोग ज्यादातर मिट्टी की मूर्तियां ही लेना पसंद करते है। इसके अलावा पत्थर की मूर्तियां भी इस्तेमाल की जा सकती हैं। उन्होंने बताया कि, पूजा के बाद मिट्टी की मूर्ति को विसर्जित कर देना चाहिए।
अगल-अलग है मान्यता
कई लोग मानते हैं कि पूजा में श्रीगणेश की मूर्ति की सूंड सीधे हाथ की तरफ होनी चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं है, जैसे हमारा शरीर है वैसे ही श्रीगणेश का भी शरीर है। पंडित धर्मेन्द्र शास्त्री कहते हैं कि, धर्म या किसी ग्रंथ में गणेश जी की सूंड और पूजा को लेकर कोई वर्णन नहीं है। ऐसे में दोनों ही तरह की मूर्तियां पूजा योग्य होती है। चांदी की गणशे-लक्ष्मी मूर्ति को उन्होंने बताया कि, जब चांदी या सोने की मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठिा करा ली जाती है, तो उसे बदला नहीं जाता। यदि कोई बड़ी मूर्ति लेना भी चाहते हैं तो उसे घर के दूसरे स्थान पर रख सकता है।