भोपाल (नवदुनिया स्टेट ब्यूरो)। मध्य प्रदेश में डीएनए जांच के लंबित प्रकरणों की संख्या इस समय 11 हजार से अधिक हो गई है। इस समस्या के हल के लिए ग्वालियर की क्षेत्रीय फोरेंसिक लैब (वैज्ञानिक आधार पर साक्ष्य की जांच) में भी डीएनए जांच की सुविधा शुरू करने के प्रयास किए जा रहे हैं। इस दिशा में संसाधनों की उपलब्धता के लिए टेंडर जारी कर दिए गए हैं। प्रदेश में डीएनए जांच का मुख्यालय सागर में है। इसके अलावा भोपाल व इंदौर की रीजनल लैब में भी यह सुविधा उपलब्ध है। अब ग्वालियर में भी डीएनए जांच शुरू की प्रक्रिया चल रही है। अधिकारियों का कहना है कि ग्वालियर में डीएनए जांच शुरू होने से लंबित प्रकरणों के निपटारे में मदद मिलेगी।
ग्वालियर के लिए आधुनिक संसाधन उपलब्ध कराने वाली कंपनियों से बात की जा रही है। शासकीय प्रक्रिया के तहत पूरे किए जाने वाले मापदंडों को शीघ्र पूरा करने को कहा गया है। अभी प्राथमिकता वाले या कोर्ट का आदेश होने वाले मामलों की जांच की जा रही है। कई मामले डीएनए जांच रिपोर्ट नहीं मिलने के चलते निर्णायक स्थिति में नहीं पहुंच पा रहे हैं। इस संबंध में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक अनिल कुमार गुप्ता ने बताया कि ग्वालियर की रीजनल लैब में डीएनए जांच की सुविधा जल्द प्रारंभ होने की उम्मीद है। इसके लिए टेंडर हो चुके हैं। आवश्यक संसाधनों की उपलब्धता के लिए प्रक्रिया तेजी से चल रही है।
रतलाम, रीवा और जबलपुर में भी खोली जाएगी लैब
रतलाम, रीवा और जबलपुर में भी फोरेंसिक लैब खोलने का काम प्रक्रिया में है। इनके खुलने से संबंधित जिलों को स्थानीय स्तर पर यह सुविधा मिल जाएगी। मालूम हो, किसी अपराध में फोरेंसिक जांच के आधार पर प्रस्तुत साक्ष्य अधिक प्रामाणिक माने जाते हैं। ऐसे में पुलिस की ओर से इस तरह की जांच की मांग बढ़ गई है। उधर, लैब में भर्ती में निरंतरता नहीं होने से कर्मचारियों की संख्या कम होती गई। वैज्ञानिक अधिकारी के तौर पर यहां वर्ष 1985 में भर्ती हुई। इसके बाद 1998 और फिर 2015-16 में कुछ पद पर नियुक्ति हुई। भर्ती में कई वर्षों का अंतर होने से काम करने वालों की संख्या कम होती रही।