अंजली राय, नईदुनिया. भोपाल। प्रदेश के 10 जिलों में गंभीर सूखे का खतरा मंडरा रहा है। सूखे की चिंता चालू मानसून सत्र की नहीं है, बल्कि भविष्य को लेकर की जा रही है। यह आशंका 1958 से 2022 तक के जलवायु आंकड़ों के विश्लेषण का निष्कर्ष है। यह निष्कर्ष भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (आइसर) और मौलाना आजाद राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (मैनिट) के विज्ञानियों के संयुक्त अध्ययन में सामने आया है। इसकी वजह औसत वर्षा न होना और गर्म दिनों की संख्या में बढ़ोतरी है।
अध्ययन में सीधी, शहडोल, सतना, सिंगरौली, उमरिया, पन्ना, कटनी, भिंड, रीवा और मुरैना में भविष्य में सूखे की आशंका की वजह गर्म दिनों की संख्या बढ़ने को बताया जा रहा है। आईसर के पृथ्वी एवं पर्यावरणीय विज्ञान विभाग के विज्ञानी सोमिल स्वर्णकार और मैनिट के विकास पूनिया ने जलवायु आंकड़ों का विश्लेषण किया है। यह संयुक्त अध्ययन हाल में यूरोपीय जर्नल थियोरेटिकल एंड एप्लाइड क्लाइमेटोलाजी में प्रकाशित हुआ है। इसके बाद शहडोल और सतना ऐसे हालात का शिकार रहा।
इन जिलों को संकट के गंभीर हाटस्पाट के तौर पर चिह्नित किया गया है। सोमिल स्वर्णकार ने बताया कि पूर्वी क्षेत्र के जिलों में सामान्य तौर पर अधिक वर्षा होती रही है, लेकिन 1990 के बाद यहां वर्षा के दिनों की संख्या घटती गई और तापमान बढ़ता गया। यहां तक कि सर्दियों में भी तापमान सामान्य से अधिक रहा है। इन अत्यधिक संवेदनशील जिलों में जलवायु अनुकूल रणनीतियों पर ध्यान केंद्रित करना होगा। फसल बीमा, वित्तीय सहायता और सामुदायिक प्रशिक्षण जैसे लक्षित उपाय ग्रामीण आजीविका और जल संसाधनों की सुरक्षा में सहायक होंगे। यदि समय पर कार्यवाही नहीं की गई तो राज्य की कृषि, जल सुरक्षा और सामाजिक स्थिरता पर गंभीर संकट खड़ा हो सकता है।