वैभव श्रीधर, नईदुनिया, भोपाल। मतदाताओं की पुख्ता पहचान को लेकर छिड़े विवाद के बीच निर्वाचन आयोग अब राजनीतिक दलों के बूथ लेवल एजेंट (बीएलए) का रिकॉर्ड भी रखेगा। इनका फोटो और मोबाइल नंबर आयोग के पास रहेगा। इसे मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी की वेबसाइट पर भी प्रदर्शित किया जाएगा ताकि यह स्पष्ट रहे कि मतदाता सत्यापन के लिए बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) के साथ घर-घर जाने वाला बीएलए पार्टी द्वारा अधिकृत है या नहीं। प्रदेश में इस बार बिहार की तरह मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण प्रस्तावित है।
इसकी तैयारी मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय कर चुका है। वर्ष 2003 की मतदाता सूची वेबसाइट पर अपलोड कर दी गई है। वर्ष 2003 के पहले के मतदाताओं को पहचान पत्र की जानकारी देनी होगी तो इस अवधि के बाद जो भी मतदाता बने हैं, उन्हें अन्य दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे। इसके लिए बूथ लेवल ऑफिसर घर-घर जाएंगे। इस प्रक्रिया में राजनीतिक दल अपने बूथ लेवल एजेंट (बीएलए) को बीएलओ के साथ भेज सकते हैं। इस बार पार्टियों को बकायदा बीएलए की पूरी पहचान बतानी होगी। उनका फोटो और मोबाइल नंबर भी देना होगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि जो बीएलए बनाया गया है, वह अधिकृत है या नहीं। उसी क्षेत्र का मतदाता है या नहीं।
दरअसल, दल उसे ही बीएलए नियुक्त कर सकते हैं, जो संबंधित मतदान केंद्र या उसी सेंटर (जहां एक ही परिसर में कई मतदान केंद्र होते हैं) का मतदाता हो। अभी दल केवल बीएलए की सूची बनाकर दे देते थे। इससे उनकी पहचान स्पष्ट नहीं हो पाती थी। बीएलए को यह अधिकार होता है कि सूची से नाम जोड़ने या हटाने के लिए आवेदन एकत्र कर दे सकता है। उनके द्वारा सूची में गलत नाम पर दर्ज कराई जाने वाली आपत्ति पार्टी की मानी जाती है।
मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी संजीव कुमार झा ने कुछ दिन पहले राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ विशेष गहन पुनरीक्षण की तैयारियां साझा करने के लिए बैठक की थी। इसमें उन्होंने 330 सितंबर तक बीएलए की सूची देने के लिए कहा है। आठ हजार से अधिक नए केंद्र बनेंगे प्रदेश कांग्रेस के मतदाता सूची संबंधी काम के प्रभारी ललित सेन ने बताया कि हमने नए सिरे से बीएलए नियुक्त करने की तैयारी की है। प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में प्रभारी नियुक्त कर दिए हैं। चुनाव आयोग प्रति केंद्र 1,200 मतदाताओं के आधार पर मतदान केंद्र निर्धारित कर रहा है। इससे प्रदेश में आठ हजार से अधिक केंद्र बढ़ेंगे। हमने मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी से कहा है कि पहले नए केंद्र गठित कर दिए जाएं फिर सूची ली जाए क्योंकि वर्तमान केंद्रों में से ही नए केंद्र बनेंगे। अभी सूची दे देंगे तो फिर सुधार करना होगा।
मतदाता की पहचान सुनिश्चित करने के लिए आयोग द्वारा निर्धारित दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे। इसमें एक जुलाई, 1987 से पहले जारी जन्म प्रमाण पत्र, पासपोर्ट, शैक्षणिक प्रमाण पत्र, स्थायी निवास प्रमाण पत्र, वन अधिकार प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र (ओबीसी/एससी/एसटी), राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (जहां मौजूद), परिवार रजिस्टर, भूमि/मकान आवंटन प्रमाण पत्र आदि शामिल हैं।