
राज्य ब्यूरो, नईदुनिया, भोपाल। लोक निर्माण विभाग (PWD) के डिप्लोमा इंजीनियरों द्वारा निर्माण कार्यों की गुणवत्ता जांच के लिए कराए जा रहे औचक निरीक्षण का विरोध करने से एक बात तो साफ हो गई है कि वे स्वयं की छवि सुधारना नहीं चाहते हैं। कई इंजीनियर बीस-बीस साल से एक स्थान पर जमे हुए हैं। ऐसे इंजीनियरों को जल्द ही हटाया जाएगा। इसके लिए विभाग ने प्रमुख अभियंता केपीएस राणा को निर्देश दिए हैं कि मुख्य अभियंताओं से पूरी सूची तैयार करवाएं। इसमें इंजीनियरों की पूरी कुंडली रहे ताकि पारदर्शिता से उनकी पदस्थापना की व्यवस्था बनाई जा सके।
प्रदेश में इंजीनियर ही नहीं, सभी विभागों में कर्मचारियों की कमी है। लंबे समय से भर्ती नहीं होने के कारण यह स्थिति बनी है लेकिन अब सरकार भर्तियां कर रही है। आगामी तीन वर्षों में ढाई लाख पदों पर भर्ती होंगी। उधर, प्रशासनिक दृष्टि से सरकार बीच-बीच में स्थानांतरण करती है लेकिन बड़ी संख्या में इंजीनियर, खासतौर पर उपयंत्री और सहायक यंत्री, एक ही स्थान पर बीस-बीस वर्षों से जमे हैं। यदि इनका स्थानांतरण किया भी जाता है तो स्थानीय नेता बचाव में सामने आ जाते हैं।
यह भी पढ़ें- 'सार्थक' से खिलवाड़... 600 किमी दूर बैठकर डॉक्टर लगा रहे थे हाजिरी, एप में बदले चेहरे, दो को नोटिस जारी
वर्ष 2020 में सत्ता परिवर्तन होने के बाद भी इन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। ऐसे इंजीनियर जहां के तहां बने रहे। दरअसल, एक स्थान पर लंबे समय तक काम करने से स्थानीय स्तर पर संबंध बन जाते हैं। ऐसे में गुणवत्ताहीन काम होने पर वह कार्रवाई नहीं हो पाती, जो होनी चाहिए।
अखिल भारतीय सेवा या फिर राज्य सेवा का कोई भी संवर्ग हो, किसी में भी अधिकारी को तीन वर्ष से अधिक समय के लिए एक स्थान पर पदस्थ नहीं रखा जाता है। चुनाव आयोग भी चुनाव के समय सबसे पहले ऐसे अधिकारियों को ही हटाने के निर्देश देता है, जिन्हें एक स्थान पर पदस्थ रहते तीन वर्ष या उससे अधिक समय हो जाता है। इसके पीछे उद्देश्य निष्पक्षता ही रहता है।