
नवदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। रानी कमलापति रेलवे स्टेशन से दिल्ली जाने व आने वाली ट्रेनों की समयबद्धता लगातार बिगड़ती जा रही है। हालत यह है कि जिन ट्रेनों को कभी स्पेशल ट्रेन की श्रेणी में रखा गया था, वे अब सामान्य मौसम में भी देर से पहुंच रही हैं। कई ट्रेनों की औसत देरी एक से डेढ़ घंटे तक दर्ज की जा रही है, जिससे यात्री खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। साथ ही रेलवे पर उनका भरोसा भी खत्म हो रहा है।
वहीं, इन सबके बीच, वंदे भारत एक्सप्रेस अपने निर्धारित समय पर पहुंच रही है। इससे कुछ यात्री खुश भी हैं। लेकिन सवाल यह उठता है कि जब वंदे भारत जैसी ज्यादा किराये वाली ट्रेन समय पर आ रही है तो अन्य ट्रेनों को लेट क्यों किया जा रहा है। अभी तो सामान्य मौसम है, तब यह हाल है, सर्दियों में कोहरे के दौरान देरी का अंतर और बढ़ेगा। ऐसे में रानी कमलापति से दिल्ली मार्ग पर यात्रा करने वाले यात्रियों को पहले से ही अपने कार्यक्रमों की योजना बनानी पड़ेगी।
वहीं, रेलवे के बहानों की लिस्ट लंबी है, उनके अनुसार, ट्रेनों के देर से आने की प्रमुख वजहों में ट्रैक पर बढ़ता ट्रैफिक, मेंटेनेंस कार्यों के कारण ब्लाक लेना, और कुछ रूटों पर पुराने सिग्नलिंग सिस्टम का उपयोग शामिल है। इसके अलावा, समयपालन की निगरानी में कमी और संचालन के समन्वय में ढिलाई भी स्थिति को और बिगाड़ रही है।
रेल विशेषज्ञों का कहना है कि यदि बाकी ट्रेनों में भी वंदे भारत जैसी तकनीकी दक्षता और मानिटरिंग व्यवस्था लागू की जाए, तो समयपालन में बड़ा सुधार लाया जा सकता है। रेलवे को अब ट्रैक और सिग्नलिंग सिस्टम के आधुनिकीकरण के साथ-साथ ऑपरेशनल जवाबदेही को प्राथमिकता देने की जरूरत है।

ऐसे हो सकता है सुधार
रानी कमलापति से दिल्ली और दिल्ली से भोपाल के बीच चलने वाली स्पेशल ट्रेनें अपने निर्धारित समय से देरी से पहुंचती हैं। अभी कई स्थानों पर रेलवे द्वारा तीसरी लाइन डाली जा रही है, जिससे ट्रेनें आउटर लाइन पर 30 मिनट तक रुकती हैं। चेन पुलिंग, प्लेटफार्म की कमी और लाइन क्षमता का अभाव भी देरी का कारण है। फिलहाल इस समस्या का कोई ठोस समाधान रेलवे के पास नहीं है। जब तक इन सुविधाओं में सुधार नहीं होगा, यात्रियों को लगातार इसी प्रकार की असुविधा और परेशानी का सामना करना पड़ेगा। - निरंजन वाधवानी, सदस्य, सलाहकार समिति, पश्चिम मध्य रेलवे
पहले जिन ट्रेनों को स्पेशल ट्रेन की श्रेणी में रखा गया था, आज उनकी स्थिति चिंताजनक हो गई है। सामान्य मौसम में ही ये ट्रेनें अपने निर्धारित समय से देर से पहुंच रही हैं। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि सर्दियों में कोहरे की स्थिति में देरी का स्तर कितना बढ़ जाएगा। लगातार बढ़ती लेट-लतीफी रेलवे विभाग की लापरवाही और समयपालन (पंचुअलिटी) की गंभीर कमी को उजागर करती है। यात्रियों का भरोसा अब इन ट्रेनों पर धीरे-धीरे कम होता जा रहा है। - मुकेश अवस्थी, सदस्य, सलाहकार समिति, पश्चिम मध्य रेलवे
मैं अक्सर भोपाल से दिल्ली जाने वाली शताब्दी एक्सप्रेस से सफर करता हूं। पहले यह ट्रेन समय पर मिलती थी, लेकिन अब लगभग हर दिन 20-25 मिनट लेट चलती है। कभी ट्रैक में काम चल रहा होता है, तो कभी सिग्नल डाउन बताया जाता है। स्टेशन पर भी अपडेट ठीक से नहीं मिलता। कई बार मीटिंग या आगे की ट्रेन छूट जाती है। यात्रियों को समय पर जानकारी मिले, यही सबसे बड़ी जरूरत है। - सुरेश कुमार, यात्री