सोलर पंप के लिए किसानों को देनी होगी 5 से 10 प्रतिशत राशि, 65 प्रतिशत तक ऋण दिलाएगी सरकार
मध्य प्रदेश में किसानों की बिजली लागत घटाने और सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने हेतु प्रधानमंत्री कृषक मित्र सूर्य योजना लागू की गई है। किसानों को सोलर पंप की लागत का केवल 5–10% देना होगा। योजना से अतिरिक्त ऊर्जा उपयोग, पारदर्शिता, अन्य योजनाओं से जुड़ाव और आर्थिक बचत सुनिश्चित होगी।
Publish Date: Mon, 19 May 2025 04:40:12 PM (IST)
Updated Date: Mon, 19 May 2025 10:10:09 PM (IST)
किसान आसानी से खरीद पाएंगे सोलर पंप। (फाइल फोटो)HighLights
- सोलर पंप के लिए किसानों को 5–10% देना होगा।
- 30% अनुदान केंद्र, शेष ऋण राज्य सरकार देगी।
- अतिरिक्त ऊर्जा से अन्य कृषि कार्य भी संभव होंगे।
भोपाल, नईदुनिया प्रतिनिधि। मध्य प्रदेश में किसानों की खेती लागत कम करने और सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री कृषक मित्र सूर्य योजना लागू की गई है। इस योजना के तहत किसानों को सोलर पंप स्थापित करने के लिए केवल 5 से 10 प्रतिशत राशि अंशदान के रूप में देनी होगी।
भारत सरकार 30 प्रतिशत अनुदान देगी, जबकि 65 प्रतिशत तक राशि सरकार की गारंटी पर बैंक ऋण के रूप में उपलब्ध कराई जाएगी। विशेष रूप से इस ऋण का भुगतान भी राज्य सरकार करेगी। पहले चरण में डेढ़ लाख अस्थायी कृषि पंप कनेक्शन धारकों को शामिल किया जाएगा।
योजना से न केवल बिजली खर्च कम होगा, बल्कि अतिरिक्त ऊर्जा का उपयोग अन्य कार्यों जैसे आटा चक्की, कोल्ड स्टोरेज और बैटरी चार्जिंग के लिए भी हो सकेगा। यह योजना मार्च 2028 तक लागू रहेगी।
सोलर पंप योजना के लाभ
- प्रदेश में जिन किसानों के पास स्थायी विद्युत कनेक्शन नहीं है, वे इस योजना के पात्र होंगे। सोलर पंप की लागत का 5-10 प्रतिशत हिस्सा किसान को देना होगा, जिसमें तीन हार्स पावर से कम के पंप के लिए 5 प्रतिशत और उससे अधिक के लिए 10 प्रतिशत अंशदान निर्धारित है।
- 30 प्रतिशत अनुदान भारत सरकार द्वारा कुसुम योजना के तहत दिया जाएगा। शेष 60-65 प्रतिशत राशि बैंक ऋण के रूप में उपलब्ध होगी, जिसका भुगतान राज्य सरकार करेगी। ऊर्जा विकास निगम का सर्विस चार्ज भी किसानों से नहीं लिया जाएगा। सोलर पंप की दरें निविदा के आधार पर तय होंगी, जिससे पारदर्शिता सुनिश्चित होगी।
अतिरिक्त ऊर्जा का उपयोग
- नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा विभाग के अनुसार, सोलर पैनल साल में 330 दिन और औसतन आठ घंटे प्रतिदिन बिजली उत्पादन करते हैं, जबकि कृषि पंप को केवल 150 दिन बिजली की जरूरत होती है।
- शेष ऊर्जा का उपयोग चाफ कटर, आटा चक्की, कोल्ड स्टोरेज, ड्रायर और बैटरी चार्जिंग जैसे कार्यों के लिए किया जा सकता है। इससे किसानों की आय बढ़ाने में मदद मिलेगी।
अन्य योजनाओं से जुड़ाव
सोलर पंप योजना को ड्रिप और स्प्रिंकलर सिस्टम जैसी अन्य योजनाओं से जोड़ा जाएगा, जिससे किसानों को उद्यानिकी विभाग और अन्य योजनाओं का लाभ भी मिलेगा। प्रत्येक पंप पर क्यूआर कोड होगा, जिसे स्कैन कर पूरी जानकारी प्राप्त की जा सकेगी। यह सुविधा पारदर्शिता और निगरानी को बढ़ाएगी।
आर्थिक बचत व प्राथमिकता
राज्य सरकार का मानना है कि सोलर पंप से अटल कृषि ज्योति जैसी योजनाओं में विद्युत वितरण कंपनियों को दिए जाने वाले अनुदान में बचत होगी। इस बचत से किसानों के ऋण का भुगतान किया जाएगा। प्राथमिकता उन डेढ़ लाख किसानों को दी जाएगी, जो हर सीजन अस्थायी कनेक्शन लेते हैं और अधिक खर्च वहन करते हैं।