Fifth National Tiger Census: भोपाल(राज्य ब्यूरो)। महज दो बाघ के अंतर से टाइगर स्टेट बना मध्य प्रदेश इस तमगे को कायम रखने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता है। इस बार कर्नाटक से कड़ा मुकाबला है इसलिए ट्रैप कैमरों की संख्या चार से बढ़ाकर छह हजार की जा रही है। इसके लिए दो हजार कैमरे इसी माह खरीदे जा रहे हैं। वहीं बाघों की गिनती पर नजर रखने के लिए 23 अधिकारियों को नोडल बनाया है। पिछली बार सिर्फ सात अधिकारियों को यह जिम्मा सौंपा गया था। इतना ही नहीं, पहली बार वनवृत्त के अधिकारियों को गिनती के दौरान जंगल में सक्रिय रहने के निर्देश हैं। वे गिनती करने वाले कर्मचारियों पर नजर रखेंगे और मुख्य वन्यप्राणी अभिरक्षक को रिपोर्ट देंगे।
प्रदेश में पांचवीं राष्ट्रीय बाघ गणना की औपचारिक शुरूआत हो चुकी है। फिलहाल अधिकारियों और कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। 19 अक्टूबर से बाघों की गिनती शुरू हो जाएगी। इससे पहले वन विभाग की वन्यप्राणी शाखा एक-एक बाघ को गिनकर अपना तमगा बरकरार रखने की कोशिश में जुटी है। इसके तहत जंगल में ट्रैप कैमरों की संख्या बढ़ाई जा रही है। विभाग ने विभिन्न् क्षेत्र के जंगलों में ऐसे दो हजार स्थानों को चिन्हित किया है, जहां पिछली बार कैमरे नहीं लग पाए थे और उन क्षेत्रों में बाघों की गतिविधि देखी गई हैं।
वहीं पिछले दो साल से कुछ ऐसे क्षेत्रों में भी बाघ देखे जा रहे हैं, जहां पहले नहीं देखे गए थे। इसलिए दो हजार ट्रैप कैमरे खरीदना पड़ रहे हैं। विभाग ने स्टेट फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट (एसएफआरआइ) जबलपुर को कैमरे खरीदने की जिम्मेदारी सौंपी है, जो इसी माह के अंत तक खरीद लिए जाएंगे। पांच अक्टूबर तक प्रदेश के हर वन क्षेत्र में कैमरे पहुंचाने का लक्ष्य है।
हर गतिविधि पर नजर रखेंगे नोडल अधिकारी
बाघों की गिनती के लिए बनाए गए नोडल अधिकारी हर मैदानी गतिविधि पर नजर रखेंगे। खासतौर से वे यह देखेंगे कि इस बार की गिनती के दौरान कोई ऐसा क्षेत्र न छूटे, जहां बाघ की उपस्थिति की थोड़ी-सी भी संभावना हो। क्योंकि कर्नाटक से कड़ा मुकाबला है। मुकाबला इसलिए और बढ़ जाता है क्योंकि इस साल प्रदेश में आठ महीनों में 31 बाघों की मौत हुई है। जबकि कर्नाटक में 13 बाघ मरे हैं। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2018 मेंं हुई गिनती में मध्य प्रदेश में 526 और कर्नाटक में 524 बाघ पाए गए थे।