भोपाल, नवदुनिया प्रतिनिधि। प्रदेश में स्कूल शिक्षा विभाग के स्कूलों के बाद अब आदिम जाति कल्याण विभाग के स्कूलों का भी समायोजन किया जाएगा। आसपास के जिन स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या कम होगी, उन्हें एक परिसर-एक शाला योजना के अंतर्गत समायोजित किया जाएगा। आदिम जाति कल्याण विभाग ने 20 जिलों के 89 आदिवासी विकासखंडों में एक ही परिसर में विभिन्न स्तर की संचालित शालाओं को राज्य शासन के 'एक परिसर-एक शाला' योजना के अनुरूप संचालित किए जाने का निर्णय लिया है। इस निर्णय से एक ही परिसर में स्थित विभिन्न विद्यालयों में उपलब्ध भौतिक संसाधनों का व्यवस्थित तरीके से उपयोग हो सकेगा। साथ ही निश्शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम (आरटीई) का क्रियान्वयन बेहतर तरीके से हो सकेगा। इस संबंध में आदिम जाति कल्याण विभाग ने दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं।
आदिम जाति कल्याण विभाग के इन 20 जिलों के 89 आदिवासी विकासखंडों में अब तक 10 हजार 506 स्कूल संचालित हो रहे थे। लेकिन अब इसके बाद 5760 स्कूल बंद किए जाएंगे, जिससे अब इन क्षेत्रों में 4746 ही स्कूल संचालित किए जाएंगे। ये सभी हायर सेकंडरी स्कूल होंगे, जिसमें पहली से बारहवीं तक की कक्षाएं एक ही शाला परिसर में लगेंगी। आदेश में कहा गया है कि एक ही परिसर में संचालित एक से अधिक प्राथमिक व माध्यमिक स्कूलों का एक ही स्कूल के रूप में, एक से अधिक आश्रम स्कूलों की प्राथमिक या माध्यमिक स्कूलों का कक्षा पहली से आठवीं तक एक ही शाला के रूप में तथा एक ही परिसर में संचालित एक से अधिक प्राथमिक या माध्यमिक स्कूलों का कक्षा पहली से आठवीं तक के एक ही स्कूल के रूप में संचालन होगा।
जिलास्तरीय समिति का होगा गठन
एक परिसर-एक शाला के क्रियान्वयन के लिए जिलास्तरीय समिति गठित की जाएगी। इस समिति में जिला कलेक्टर, जिला पंचायत सीईओ, डाइट प्राचार्य, जिला परियोजना समन्वयक व आदिम जाति कल्याण विभाग के जिला संयोजक शामिल होंगे। समिति के सचिव आदिम जाति कल्याण विभाग के सहायक आयुक्त होंगे। प्रदेश में एक परिसर-एक शाला को संचालित करने का दायित्व संबंधित जिले के सहायक आयुक्त को सौंपा गया है।