भोपाल। एम्स भोपाल में कैंसर मरीजों के लिए बड़ी सुविधा शुरू होने जा रही है। कैंसर के मरीजों की सिकाई (रेडियोथैरपी) इस मशीन से की जाएगी। प्रदेश के किसी भी सरकारी अस्पताल में लीनियर एक्सीलरेटर की सुविधा नहीं हैं। निजी अस्पतालों में सिकाई का खर्च 20 हजार से डेढ़ लाख रुपए तक है।
एम्स के अफसरों ने बताया कि लीनियर एक्सीलरेटर की खरीदी हो गई है। कैंसर यूनिट के लिए अस्पताल में बंकर बनाया जा रहा है। इसका काम भी अंतिम चरण में है। एटॉमिक एनर्जी रेगुलेटरी बोर्ड (एईआरबी) से मंजूरी के बाद यह सुविधा शुरू हो जाएगी। इसके लिए रेडियोथैरेपी विभाग में कंसल्टेंट की भर्ती की प्रक्रिया शुरू हो गई है। कंसल्टेंट की नियुक्ति के बाद मशीन चलाने का लाइसेंस लेने के एईआरबी को आवेदन किया जाएगा।
निजी अस्पतालों में 20 हजार से डेढ़ लाख तक खर्च
कैंसर विशेषज्ञ डॉ. श्याम अग्रवाल ने बताया कि लीनियर एक्सीलरेेटर से कैंसर की सिकाई में 20 हजार से डेढ़ लाख रुपए तक आता है। यह मरीज की बीमारी और उसके लगने वाले साइकिल से तय होता है कि खर्च कितना आएगा। मसलन ज्यादा साइकिल (ज्यादा बार) सिकाई की जाती है तो खर्च बढ़ जाता है।
दूसरी मशीनों की तुलना में यह है फायदा
गांधी मेडिकल कॉलेज में रेडियोथैरेपी विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ.एचयू गौरी ने बताया कि लीनियर एक्सीलरेटर में कैंसर के अलावा दूसरी कोशिकाओं (सेल) को नुकसान कम पहुंचता है, जबकि कोबाल्ट व अन्य मशीनों से सिकाई करने पर बिना कैंसर वाली सेल को भी उतनी ही नुकसान पहुंंचता है। इससे मरीज की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। मरीज को अन्य दिक्कतें भी होने लगती हैं। उन्होंने बताया कि इस मशीन से ज्यादा शक्तिशाली एक्स किरणें निकलती हैं जो कैंसर सेल को जला देती हैं।
हमीदिया से कई बार भेजा प्रस्ताव ठंडे बस्ते में
पीजी अपग्रेडेशन के तहत केन्द्र सरकार से गांधी मेडिकल कॉलेज को करीब चार साल पहले 24 करोड़ रुपए मिले थे। इसमें लीनियर एक्सीलरेटर लगाने का भी प्रस्ताव था। करीब छह करोड़ रुपए इस मशीन की लागत है। विभाग ने खरीदी के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा था, लेकिन मशीन नहीं खरीदी गई। यहां पर रेडियोथैरेपी विभाग में 4 सीट पर पोस्ट ग्रेज्युएशन कोर्स चल रहा है। इन सीटों की एमसीआई से मान्यता के लिए भी लीनियर एक्सीलरेटर जरूरी है।
इनका कहना है
लीनियर एक्सीलरेटर मशीन खरीदी जा चुकी है। मशीन लगाने के लिए बंकर भी तैयार है। एईआरबी से मंजूरी मिलने के बाद यह सुविधा शुरू कर दी जाएगी।
डॉ. नितिन नगरकर प्रभारी डायरेक्टर, एम्स