लाट साहब : राजधानी के एक अफसर पर पंजीयन विभाग इतना मेहरबान है कि उन्हें चार-चार महत्वपूर्ण और मलाईदार पदों पर बैठा रखा है। इन साहब पर चारों अंगुलियां घी में और सिर कड़ाही में होने की कहावत पूरी तरह चरितार्थ हो रही है। इन साहब को भोपाल के वरिष्ठ जिला पंजीयक के साथ-साथ आइएसबीटी के एक सर्किल का भी चार्ज दे दिया गया है। इतना ही नहीं, विदिशा और रायसेन के भी जिला पंजीयक का प्रभार इन महोदय के पास ही है। विभागीय अधिकारियों की मानें तो इन साहब की वरिष्ठ अफसरों के साथ पैठ काफी अच्छी है। शासन के उच्च पदों पर बैठे लोग भी अपने काम के लिए इन साहब को ही फोन करते हैं। साहब भी पूरी शिद्दत के साथ अपनी भूमिका अदा करते हैं। यही कारण है कि इन अफसरों की खातिर इन्हें चार महत्वपूर्ण प्रभार सौंपे गए हैं, ताकि वरिष्ठ अधिकारियों को कोई तकलीफ न हो।
शुद्ध के लिए युद्ध से ही मुक्ति
जब आप किसी चीज को पूरी शिद्दत से करना चाहो तो पूरी कायनात भी आपको उस कार्य को करने से नहीं रोक सकती। ऐसा ही मानना है राजधानी के खाद्य एवं औषधि प्रशासन के अधिकारियों का। तभी तो वे जांच और कार्रवाई उन जगहों पर कर रहे हैं, जहां से कोई आपत्ति वरिष्ठ अफसरों के पास न आए। शुद्ध के लिए युद्ध अभियान की तरह सभी प्रतिष्ठानों पर एक सिरे से कार्रवाई नहीं हो रही है। वर्तमान सरकार ने मिलावट से मुक्ति अभियान तो चलाया है, लेकिन राजधानी के अफसर इस अभियान को सफल बनाने के लिए बड़े प्रतिष्ठानों को छोड़कर छोटे-छोटे प्रतिष्ठानों पर कार्रवाई कर रहे हैं। शुद्ध के लिए युद्ध के तहत तो पांच लोगों पर रासुका लगाई गई थी, वहीं 16 प्रतिष्ठानों पर एफआइआर दर्ज कराई गई थी, लेकिन मिलावट से मुक्ति अभियान के तहत अब तक एक भी प्रतिष्ठान पर एफआइआर दर्ज नहीं हो पाई है।
कोटा कम, माहौल गरम
राजधानी सहित प्रदेशभर में पीडीएस दुकानों पर सितंबर 2019 से राशन का स्टॉक ऑनलाइन कम दिखा रहा है। मार्च में ही पीओएस मशीनों में स्टॉक घटाकर नया राशन का कोटा जारी किया गया है। इससे पीडीएस दुकान संचालक काफी नाराज हैं और विभाग की लचर व्यवस्था से परेशान हो रहे हैं। आलम यह है कि कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी और पीडीएस दुकान संचालकों के बीच आए दिन बहस और झड़प हो रही है। एक दुकान संचालक और कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी के बीच राजधानी में विगत दिनों हाथापाई हो गई। नौबत तो यह तक आ गई कि दुकान संचालक को कपड़े उतारकर खाद्य विभाग के सामने धरना देना पड़ा। इस तरह राशन का कोटा कम करने से विभाग में माहौल गरम हो गया है। ऐसा इसलिए हो रहा है, क्योंकि पीओएस मशीनों में गड़बड़ी के चलते मैनुअली राशन तो बांटा गया था, लेकिन मशीनों के स्टॉक से इसे घटाया ही नहीं गया।
बहस में बढ़ गया बीपी
अफसरशाही का नशा कुछ इस कदर सिर चढ़कर बोलता है कि गलत चीज भी अफसरों को सही ही लगती है। इसका ताजा मामला राजधानी में विगत दिनों सामने आया, जब शहर सर्किल में पदस्थ एक अफसर से अपने केस के सिलसिले में मिलने के लिए एक वकील साहब पहुंचे। वकील ने अपने अपील के मामले पर एसडीएम साहब से बातचीत करनी चाही और उन्हें याद दिलाया कि साहब 15 फरवरी को अपील स्वीकृत हो गई थी, लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई। इस पर एसडीएम उल्टा भड़क पड़े। मामला यहां तक पहुंच गया कि दोनों के बीच जमकर बहस होने लगी। बहस के बीच वकील महोदय का बीपी बढ़ गया और कोर्ट परिसर से बाहर निकलते ही बीपी हाई होने के कारण नाक से खून बहने लगा। तकलीफ ऐसी बढ़ी कि वकील को आखिरकार अस्पताल में ही भर्ती होकर इलाज लेना पड़ा, लेकिन अफसर टस से मस नहीं हुए।