
ललित नाराणय कटारिया, नवदुनिया भोपालः प्रतिभा अपना लक्ष्य प्राप्त कर ली लेती है। एक छोटा सा अवसर छिपी शक्ति को दुनिया से परिचित करा देती है। ऐसी ही एक प्रतिभा है अर्जुन वास्कले। जिसने एक छोटे से गांव से अपने सफर की शुरुआत की और आज अपनी इच्छाशक्ति और मेहनत के बल पर दुनिया में भारतीय तिरंगे की शान बढ़ा रहा है।
अर्जुन वास्कले खरगोन जिले के कसरावद तहसील से 30 किमी दूर स्थित नायदड गांव के रहने वाले हैं। पढाई के लिए समीप के गांव ठिकरी जाया करते थे। दौड़ने का शौक था, इसलिए प्रतियोगिता में भाग लेना शुरू किया। सफलता मिली तो उन्हें इसमें आगे बढ़ने की स्वप्रेरणा मिली।
उन्हें जानकारी मिली कि भोपाल में मप्र खेल विभाग द्वारा एथलेटिक्स की अकादमी संचालित की जा रही है। जिसमें खिलाड़ियों को विश्वस्तरीय प्रशिक्षण के अलावा, बेहतर डाइट, शिक्षा और खेल उपकरण दिए जाते है।
इससे उनकी इच्छा जागी और 2018 में मप्र राज्य एथलेटिक्स अकादमी के ट्रायल में भाग लिया और 2019 में पंजाब के संगरुर में आयेाजित नेशनल एथलेटिक्स में पदक जीतने में सफल रहे।
इसके कुछ समय बाद ही लॉकडाउन प्रारंभ हो गया और उन्हें घर जाना पड़ा। प्रशिक्षक एसके प्रसाद के कहने पर जल्दी भोपाल लौटेऔर प्रशिक्षण में जुट गए। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा है। अभी हाल में ही उन्होंने रांची में आयोजित साउथ एशियन एथलेटिक्स गेम्स में स्वर्ण पदक जीता है।
अभी तक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 19 पदक जीत चुके अर्जुन के अनुसार इसमें अकादमी के प्रशिक्षक एसके प्रसाद का अहम योगदान है। उन्होंने पहले ही दिन मेरी प्रतिभा को पहचान लिया और कड़े अनुशासन में रखते हुए प्रशिक्षण देना प्रारंभ किया था। खेल विभाग से मिल रही सुविधाओं ने मेरी प्रतिभा को पंख दिए हैं।
अर्जुन के पिता किसान हैं। उनकी चार बड़ी बहनें और एक छोटा भाई है। खेतों काम के दौरान ही दौड़ना शुरू किया था। उनकी उपलब्धि पर इस साल खेल एवं युवा कल्याण विभाग ने एकलव्य पुरस्कार से सम्मानित किया था। अर्जुन ने कहा कि बचपन से संघर्ष देखा है, इसलिए इरादे मजबूत हैं।
अर्जुन ने बताया कि मेरा लक्ष्य 2026 में जापान में आयोजित होने वाला एशिया कप है। इसमें देश के लिए पदक जीतना चाहता हूं। इसके पहले वर्ल्ड यूनिवर्सिटी खेलों और साउथ एशियन गेम्स में 1500 मीटर दौड़ में देश का प्रतिनिधित्व किया है। मैं अपने खेल में निरंतर सुधार कर रहा हूं। अपने ही क्षेत्र के सीनियर एथलीट सुनील डावर ने मेरा हमेशा सपोर्ट किया है।
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प्रशिक्षक एसके प्रसाद ने अर्जुन के बारे में बताया कि वह जोरदार एथलीट के साथ अनुशासित छात्र भी है। हर बात को ध्यान से सुनता है और सौ प्रतिशत अमल में लाता है। यही कारण है कि 22 साल का यह युवा एथलीट देश के चुनींदा प्रतिभाशाली एथलीटों में शामिल है। समर कैंप और चयन ट्रायल की सतत प्रक्रिया से हमें अर्जुन जैसे हीरे मिल जाते हैं।