भोपाल। इन दिनों देशभर में दसदिवसीय गणेशोत्सव की धूम है। घर-घर, गली-गली गणपति बप्पा विराजित हैं। श्रद्धालु गणपति के अलग-अलग रूपों की आराधना में लीन हैं। भगवान गणपति का एक नाम एकदंत भी है- यानी एक दांत वाला। क्या आप जानते हैं गणपति के एक दांत क्यों टूटा है? किसने तोड़ा उनका दांत? कैसे वह एकदंत कहलाए? गणपति के एकदंत होने को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं। आइए ऐसी ही कुछ कथाओं के बारे में जानते हैं
ऋषि परशुराम से युद्ध में टूटा दांत
भविष्य पुराण के अनुसार एक बार ऋषि परशुराम भगवान भोलेनाथ से भेंट करने के लिए कैलाश पर्वत पहुंचे। महादेव उस वक्त तपस्या में लीन थे तो भगवान गणेश ने परशुराम जी को शिव जी से मिलने के लिए रोक दिया। इससे परशुराम जी क्रोधित हो उठे। इसके बाद गणेश जी और परशुराम जी में युद्ध शुरु हो गया। इसी दौरान परशुराम जी के फरसे के प्रहार से गणेश जी का एक दांत टूट गया। गणेश जी दर्द से कहरा उठे. गणपति की पीड़ा देखकर मां पार्वती परशुराम जी पर क्रोधित हो गईं। बाद में ऋषि परशुराम ने देवी पार्वती से क्षमा याचना की और बप्पा को अपना तेज, बल और ज्ञान प्रदान किया।
क्यों टूटा दांत हाथ में रखते हैं गणेश?
गणेश जी का एक दांत टूटने को लेकर एक और पौराणिक कथा प्रचलित है। एक बार कार्तिकेय जी अपने कार्य में मग्न थे। गणपति जी उनके कार्य में बार-बार विघ्न डाल रहे थे। इससे कुपित होकर कार्तिकेय ने गणपति का एक दांत तोड़ दिया। महादेव के समझाने पर कार्तिकेय ने गणपति को दांत तो वापस कर दिया लेकिन साथ ही एक श्राप दिया कि ये टूटा दांत गणेश जी को सदैव अपने हाथ में रखना होगा। अगर गणेश जी ने इसे खुद से अलग किया तो यही टूटा दांत उन्हें भस्म कर देगा।
टूटे दांत से लिखी महाभारत
एक धार्मिेक मान्यता के अनुसार भगवान गणेश ने अपने टूटे दांत से महर्षि वेदव्यास द्वारा उच्चरित महाभारत लिखी थी।
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