राज्य ब्यूरो, नईदुनिया, भोपाल। प्रदेश पुलिस के एक लाख से अधिक अधिकारियों-कर्मचारियों के लिए अच्छी खबर है। पुलिसकर्मियों और इनके स्वजन के उपचार के लिए चल रही पुलिस स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (पीएचपीएस) में परिवर्तन की तैयारी है। इसे केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) की तरह किया जाएगा, जिसमें रोगी कार्ड बनेंगे और चिह्नित अस्पताल में उपचार कराया जा सकेगा।
अभी पीएचपीएस में कार्ड नहीं दिया जाता। पुलिसकर्मी को चिह्नित निजी या सरकारी अस्पताल में उपचार कराने के लिए पहले पुलिस अस्पताल से रेफर कराना होता है। इसकी प्रक्रिया लंबी होती है। नई व्यवस्था में उपचार की अन्य सुविधाएं भी सीएपीएफ की तरह हो जाएंगी।
एडीजी कल्याण अनिल कुमार ने पुलिस मुख्यालय ने शासन को प्रस्ताव भेजे जाने की पुष्टि की है। नई व्यवस्था में एक लाभ यह भी होगा कि पुलिसकर्मी पात्रता के अनुसार निजी वॉर्ड भी ले सकेंगे। उसका भुगतान सेंट्रल गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम (सीजीएचएस) दरों के अनुसार शासन से अस्पताल को किया जाएगा।
दात्री समिति की बैठक में भी इस पर चर्चा हुई। पुलिस मुख्यालय की सभी शाखाओं के स्पेशल डीजी और एडीजी ने भी सीएपीएफ की तरह योजना शुरू करने के प्रस्ताव की प्रशंसा की है। मौजूदा व्यवस्था में हैं ये दिक्कतें -प्रदेश में योजना के अंतर्गत 75 अस्पताल ही हैं। इनमें आधे से अधिक भोपाल में हैं। ऐसे में बाकी जिलों के पुलिसकर्मियों को उपचार के लिए भोपाल आना पड़ता है।
पुलिस अस्पताल से रेफरल बनने के बाद ही चिह्नित अस्पताल में उपचार मिलता है। इसमें यह दिक्कत है कि पुलिस अस्पताल में नियमित डाक्टर उस विशेषज्ञता में नहीं होने के कारण अनुबंधित डाक्टरों द्वारा रेफरल बनाया जा रहा है, जिसे अस्पताल अमान्य कर देते हैं। -कैशलेस सुविधा होने के बाद भी अस्पताल मरीजों से अलग-अलग सेवा के नाम पर राशि ले लेते हैं, जबकि निर्धारित पैकेज में सभी सेवाएं जुड़ी हैं।