
वैभव श्रीधर, नईदुनिया, भोपाल। मध्य प्रदेश में विधानसभा का अगला चुनाव नवंबर-दिसंबर 2028 में होना है। उससे पहले मार्च 2028 में सरकार बजट प्रस्तुत करेगी। इसमें चुनाव की तैयारियों की झलक दिखाई देगी, इसी हिसाब से प्रदेश सरकार ने तैयारी अभी से यानी दो वर्ष पहले ही प्रारंभ कर दी है।
पहली बार रोलिंग बजट तैयार किया जा रहा है। इसमें एक साथ तीन साल का बजट विभागों से बनाया जा रहा है। उद्देश्य है कि अभी से यह पता रहे कि वित्तीय वर्ष 2028-29 में खजाने पर कितना व्ययभार आएगा। वित्त विभाग इसका आकलन विभागवार करवा रहा है, ताकि लक्ष्य की पूर्ति के लिए आवश्यक धनराशि की व्यवस्था की दिशा में अभी से काम प्रारंभ कर दिया जाए।
सरकार का लक्ष्य आगामी पांच वर्षों में बजट का आकार दोगुना करने का है। वर्तमान में बजट 4,21,032 करोड़ रुपये का है, जो पिछले बजट की तुलना में 15 प्रतिशत अधिक है। मार्च 2026 में सरकार वर्ष 2026-27 का बजट प्रस्तुत करेगी। अनुमान है कि यह चार लाख 65 हजार करोड़ रुपये से अधिक रहेगा। इसे आधार बनाकर विभागों के प्रस्तावों पर विचार किया जा रहा है। विभागों से पिछली बार शून्य आधारित बजट तैयार कराया था। इसमें सामान्य तौर पर आठ-प्रतिशत बढ़ाकर राशि देने के स्थान पर एक-एक योजना का औचित्यपूर्ण आकलन कराया गया।
इस हिसाब से जो राशि मांगी गई, वह उपलब्ध कराई गई। अनुपूरक बजट के प्रस्तावों को भी इसी आधार पर स्वीकृति दी जा रही है। उधर, आगामी तीन वर्षों के बजट की जो तैयारी है वह 2028 में होने वाले विधानसभा चुनाव की रोशनी में हो रही है। इसका लाभ यह भी होगा कि विभागों को अभी से पता होगा कि उन्हें आगामी तीन वर्षों में किसी काम के लिए कितनी राशि मिलेगी। इस हिसाब से वे चरणबद्ध प्राथमिकता निर्धारित कर सकेंगे।
सूत्रों का कहना है कि जीएसटी की दरें संशोधित होने के बाद इस वर्ष केंद्रीय करों में हिस्सा, केंद्रीय सहायता अनुदान आदि मदों में मिलने वाली राशि में कमी आ सकती है, जिससे बजट अनुमान भी गड़बड़ा सकता है। इसकी आशंका विधानसभा में प्रस्तुत राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम के अंतर्गत प्रस्तुत छह माही रिपोर्ट में भी जताई गई।
यही कारण है कि वित्तीय वर्ष 2026-27, 2027-28 और 2028-29 में विभागों को जो वित्तीय आवश्यकता होगी, उसका आकलन कराया जा रहा है ताकि आय बढ़ाने की दिशा में काम किया जा सके क्योंकि लाड़ली लक्ष्मी, लाड़ली बहना, रसोई गैस सिलेंडर रीफिल अनुदान, लैपटाप, साइकिल, स्कूटी सहित अन्य हितग्राहीमूलक योजना के लिए राशि की कमी न रहे।
तीन वर्ष में ढाई लाख सरकारी रिक्त पदों को भरने का वादा भी किया गया, जिससे स्थापना व्यय भी बढ़ेगा। आठवां वेतनमान भी इसी बीच लागू होगा, जिसका भार भी खजाने पर आएगा। इसके लिए वित्त प्रबंधन चुनौतीपूर्ण होगा। सरकार को आय बढ़ाने के नए साधन तलाशने होंगे लेकिन भार जनता पर न पड़े, इसकी भी चिंता करनी होगी।
रोलिंग बजट का मतलब पहले से यह आकलन करना होता है कि आगे आने वाले समय में क्या आवश्यकता होगी और उसकी पूर्ति के लिए कितने संसाधन लगेंगे। कौन सी योजना कब पूरी होगी। इससे यह भी आकलन हो जाएगा कि कहां बचत होगी और उसका उपयोग कहां किया जा सकेगा।
यह एक प्रकार से इस बात का आकलन करना है कि जो लक्ष्य निर्धारित किए हैं या जा रहे हैं, उसकी पूर्ति के लिए विभाग कैसे करेंगे। उन्हें कितने आर्थिक संसाधन की आवश्यकता होगी। आय की तुलना में व्यय भार कितना आ रहा है। अंतर की व्यवस्था कैसे होगी। निश्चित है कि दो साल बाद यानी 2028 में सरकार को चुनाव में जनता के बीच जाना है और बताना है कि जो लक्ष्य निर्धारित किए थे, उनकी पूर्ति कर ली गई है। - देवेंद्र विश्वकर्मा, सदस्य, राष्ट्रीय कार्यकारिणी परिषद, इंडियन इकोनामिक एसोसिएशन