गुरुकुल शिक्षा प्रणाली की वर्तमान में बहुत जरूरी : मुनि संस्कार सागर
मुनि संस्कार सागर महाराज के सानिध्य में तीन दिवसीय अनुष्ठान के समापन अवसर पर अष्टद्रव्य सजाकर मांडने पर अर्घ्य समर्पित किए गए।
By Lalit Katariya
Edited By: Lalit Katariya
Publish Date: Mon, 03 Jan 2022 11:47:15 AM (IST)
Updated Date: Mon, 03 Jan 2022 11:47:15 AM (IST)

भोपाल, नवदुनिया प्रतिनिधि। शहर के श्री चंद्रप्रभु जिनालय मंगलवारा में श्रद्धा-भक्ति के साथ रतनात्रय विधान में सम्यक् दर्शन, सम्यक् ज्ञान, सम्यक् चारित्र की पूजा-अर्चना की गई। श्रद्धालुओं ने भक्तिभाव से समवशरण में विराजमान भगवान चंद्रप्रभु का अभिषेक और शांतिधारा की। विश्व शांति यज्ञ में श्रद्धालुओं ने आहूतियां देकर मुनि संस्कार को श्रीफल समर्पित किए। मुनि संस्कार सागर महाराज के सानिध्य में तीन दिवसीय अनुष्ठान के समापन अवसर पर अष्टद्रव्य सजाकर मांडने पर अर्घ्य समर्पित किए गए। जगत में शांति, सभी जीवों के कल्याण की भावना मन में संजोकर विश्व शांति महायज्ञ में आहूतियां दी गईं। पंडित राजेश राज और शोभित भैया के निर्देशन में धार्मिक अनुष्ठान हुए। संगीतकार रजनीश कुमार की स्वर लहरियों के बीच भक्ति की थाप पर जमकर भक्ति नृत्य किया। इंद्र-इंद्राणियों ने मुनि संस्कार सागर महाराज ने प्रवचन दिए। 100 साल के जीवन मिले तो वह भी व्यर्थ है। व्यक्ति के जीवन में तीन रत्न, सम्यक् दर्शन, सम्यक् ज्ञान और सम्यक् चारित्र यह कल्याण के मार्ग है। मुनिश्री ने कहा कि उपार्जित अर्थ का सद्प्रयोग न हो तो वह भी व्यर्थ है और उपार्जित किया गया ज्ञान आचरण युक्त हो वह नर से नारायण बनाने की कला सिखा सकता है। धर्मसभा में त्यागी वृत्तियों श्रद्धालुओं द्वारा मुनिश्री को श्रीफल समर्पित किए गए। इस अवसर पर विधान के प्रमुख पात्र सोधर्म इंद्र बने सुनील और कुबेर बने नीलेश ने मुख्य अनुष्ठान किए। समाज के ऋषभ जैन रद्दी, मनोज बांगा, आदित्य मंनया, सोनू भाभा, शैलेष प्रधान, विनोद एमपीटी, पंकज प्रधान, डा राजेश, मनोज मन्नू, प्रदीप कुट्टू आदि मौजूद थे।