नईदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। दीपावली पर बारूदी धुएं ने वायु गुणवत्ता का गला घोंट दिया। ग्वालियर व जबलपुर सबसे प्रदूषित शहर रहे। भोपाल व इंदौर की हवा भी जहरीली हो गई। हालात ऐसे बने कि रात नौ बजे से सुबह चार बजे तक इन शहरों में रहने वालों का दम बारूदी धुएं से घुटता रहा। आधी रात के बाद प्रदूषण का स्तर इतना अधिक हो गया कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कई स्थानों पर इसे मापना ही बंद कर दिया।
दीपावली की रात प्रदेश के चार महानगरों समेत सात शहरों की हवा बेहद खराब मिली। ग्वालियर के डीडी नगर में औसत एक्यूआइ 364 दर्ज हुआ। पिछले साल यहां की हवा 408 अंक तक खराब स्थिति में पहुंची थी। जबलपुर के गुप्तेश्वर में भी एक्यूआइ 364 रहा। यहां पिछले साल एक्यूआइ केवल 335 था। इंदौर के छोटी ग्वालटोली केंद्र पर एक्यूआइ 362 दर्ज हुआ। पिछले साल यहीं पर एक्यूआइ 399 दर्ज हुआ था।
इस सूची में सागर की स्थिति चौंकाने वाली है। सामान्य तौर पर कम औद्योगिक दबाव वाले इस शहर में औसत एक्यूआइ 341 दर्ज हुआ है। यहां सोमवार रात 12 बजे एक्यूआइ 832 तक पहुंच गया था। पीथमपुर (330) और सिंगरौली (307) में भी हवा की गुणवत्ता खराब रही। भोपाल में सोमवार शाम चार बजे से मंगलवार शाम चार बजे तक पर्यावरण परिसर स्थित निगरानी केंद्र पर वायु गुणवत्ता सूचकांक का औसत 311 रहा। लेकिन सोमवार की रात आठ बजे से जब पटाखे फूटना शुरू हुए तो यहां की हवा की गुणवत्ता का सूचकांक 355 हो चुका था।
यह हवा की बेहद खराब श्रेणी है। बात यहीं नहीं रुकी, रात नौ बजे तक एक्यूआइ 426 हो चुका था, वहीं 10.15 बजे तक यह 761 तक जा पहुंचा। यह स्थिति रात एक बजे तक बनी रही। उसके बाद प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इसे मापना ही बंद कर दिया। उसके बाद आंकड़ा सुबह 3.15 बजे आया, जहां एक्यूआइ 680 तक था। सुबह चार बजे तक यही स्थिति रही। भोपाल के ही कलेक्ट्रेट परिसर में एक्यूआइ का औसत 341 मापा गया। यहां एक्यूआइ का सर्वाधिक स्तर 672 रहा, जो रात 10 बजे से 10.45 तक का था। उसके बाद की गणना नहीं हुई। वहीं टीटी नगर में एक्यूआइ का औसत 318 रहा। यहां सर्वाधिक एक्यूआइ 627 रहा, जो रात 11 बजे दर्ज किया गया। बताया जा रहा है कि राजधानी में पहली बार इतनी जहरीली हवा मापी गई है। पिछले वर्ष अधिकतम एक्यूआइ 500 के आसपास ही रहा था।
विशेषज्ञों का कहना है कि रात में चल रही उत्तर-पूर्वी हवाओं ने इस भारी प्रदूषकों को हटाने में बहुत मदद की। हवा बंद रहती तो स्थिति अधिक गंभीर हो सकती थी। तब बहुत लोग अचानक बीमार पड़ सकते थे।
0-50 – हवा साफ है
51 -100 – हवा कम प्रदूषित
101-200 – मध्यम स्तर का प्रदूषण
201-300 – हवा खराब है
301 – 400 – बेहद खराब
401-500 – गंभीर रूप से खराब
500 से अधिक एक्यूआइ वाली हवा बेहद खतरनाक है। ऐसी प्रदूषित हवा में रहने से एक सामान्य व्यक्ति के फेफड़ों पर धीरे-धीरे असर पड़ता है। यह असर महसूस नहीं होता, लेकिन फेफड़ों की कार्यक्षमता घटने लगती है। अस्थमा या सीओपीडी से पीड़ित व्यक्तियों के लिए यह घातक है। फेफड़े पहले से क्षतिग्रस्त हैं तो उनको अटैक आ सकता है। ऐसे मरीज जो नियमित रूप से दवाएं नहीं लेते, उनमें स्थिति और गंभीर हो जाती है। ऐसी हवा में अनावश्यक रूप से बाहर निकलने से बचें। बच्चों, बुजुर्गों और सांस के मरीजों को विशेष सतर्कता बरतनी चाहिए। - डॉ. रतन सिंह वैश्य, अधीक्षक, रीजनल इंस्टीट्यूट आफ रेस्पिरेटरी डिजीज