
नईदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल/जबलपुर : उच्च न्यायालय (High Court) ने सरकारी कर्मचारियों के जुड़ा एक महत्वपूर्ण फैसला दिया है। न्यायमूर्ति विवेक जैन की एकलपीठ ने साफ किया है कि यदि नियम में प्रविधान नहीं है तो शासकीय कर्मचारी के विरुद्ध सेवानिवृत्ति के बाद अनुशासनात्मक कार्यवाही नहीं की जा सकती है।
इस मत के साथ न्यायालय ने याचिकाकर्ता सेवानिवृत्त कर्मचारी के विरुद्ध कार्रवाई को निरस्त करते हुए उसे सभी सेवानिवृत्ति लाभ 45 दिन के भीतर प्रदान करने के निर्देश दिए।
भोपाल निवासी राजीव सक्सेना की ओर से अधिवक्ता मनीष वर्मा ने पक्ष रखा। उनका कहना था कि याचिकाकर्ता खनिज निगम में उप महाप्रबंधक के पद पर थे। नर्मदापुरम में एक खनन योजना बदली गई थी। इसके लिए उन्हें आरोपित बनाकर नोटिस थमाया गया कि क्यों न उनके विरुद्ध पेनाल्टी लगाई जाए।
याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया है कि उन्होंने फरवरी 2018 में नर्मदापुरम में ज्वाइन किया था, जबकि उक्त योजना मार्च 2017 में ही बदल दी गई थी। इसके बावजूद जांच में उनको घसीटा गया। उस जांच रिपोर्ट के आधार पर उनकी सेवानिवृत्ति के बाद नोटिस जारी किया गया, जो गलत है।
अधिवक्ता की दलील थी कि सेवानिवृत्ति के बाद स्वामी और सेवक संबंध समाप्त हो जाता है। नियम में भी सेवानिवृत्ति के बाद अनुशासनात्मक कार्रवाई का प्रविधान नहीं है। इस संबंध में उच्चतम न्यायालय के कई न्यायदृष्टांत भी पेश किए गए।