
अंजली राय, नईदुनिया, भोपाल। एक-दूसरे को अपनी इच्छानुसार ढालने के विवाद में दंपती कोर्ट तक पहुंच जा रहे हैं। भोपाल में एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में कार्यरत पति शिखा रखता है। पत्नी इसे पिछड़ापन मानती है और उसे इस पर आपत्ति है। वहीं, पति ने शिखा कटवाने से मना कर दिया तो पत्नी तलाक मांगने कुटुंब न्यायालय पहुंच गई। वहीं, एक अन्य मामले में सॉफ्टवेयर इंजीनियर पति ने न्यायालय में तलाक की अर्जी देकर शिकायत की है कि उसकी पत्नी दिन-रात पूजा-पाठ में ही लगी रहती है।
कुटुंब न्यायालय में काउंसलिंग के दौरान भी दंपती के बीच इन मुद्दों पर टकराव दूर नहीं हो रहा। इसकी वजह बेमेल रिश्तों से उपजी कडुवाहट को बताया जा रहा है। शहर के साकेत नगर निवासी एक दंपती का मामला काउंसलिंग के स्तर पर है। पति बहुराष्ट्रीय कंपनी में कार्यरत है। पत्नी रूठकर मायके में रहने लगी है। पति का कहना है कि वह जब बेंगलुरु में काम करता था तब भी उसने शिखा नहीं कटवाई। शादी के समय भी पत्नी ने टोका था, लेकिन उसने शिखा कटवाने से मना कर दिया था। अब पत्नी इसी जिद में मायके जाकर रहने लगी है।
उनकी पत्नी का कहना है कि पति स्मार्ट है, अच्छा कमाता है, लेकिन यह शिखा उसके स्टेटस को मैच नहीं करती। उसने सोचा था शादी के बाद पति मान जाएगा, लेकिन वह मानने को तैयार नहीं है। ऐसे में उनका साथ नहीं चल सकता। इसी तरह एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर पति की शिकायत है कि उसकी पत्नी मेकअप नहीं करती, कभी ब्यूटीपार्लर नहीं जाती। खासकर डार्क कलर की लिपस्टिक नहीं लगाती, जैसी उसे पसंद है।
पूजा-पाठ में लगी रहती है। इसकी वजह से वह उसे कहीं आफिस की या दोस्तों की पार्टी में भी नहीं ले जा पाता है। पत्नी का कहना है कि उसे सादगी भरा जीवन पसंद है। मेकअप करना नहीं सुहाता। वह न तो भद्दे कपड़े पहन सकती है और न ही मेकअप कर सकती है। कुटुंब न्यायालय में काउंसलर ऐसे दंपतियों को समझाने में लगे हुए हैं कि एक-दूसरे के जीवन मूल्यों का सम्मान करते हुए खुशहाल जीवन जीया जा सकता है।
राजस्थान में ब्याही एक महिला दो साल से भोपाल स्थित मायके में रह रही हैं। भोपाल कुटुंब न्यायालय में भरण पोषण का मुकदमा कर रखा है। महिला का कहना है कि शादी के पहले उसने साफ कहा था कि साड़ी की जगह सूट पहनना उसके लिए अधिक आरामदायक है। उस समय ससुरालवालों ने कुछ भी नहीं कहा था। अब संयुक्त परिवार की बात कहकर साड़ी पहनने का दबाव बनाया जाता है। पति के साथ वह बाहर नहीं जा सकती है। पति का कहना है कि संयुक्त परिवार में रहने के कारण परंपराओं को भी देखकर चलना पड़ता है।
आज भौतिकवादी चमक में मानवीय संबंध कमजोर हो रहे हैं। स्वस्थ समाज के लिए स्वस्थ परिवार और स्वस्थ परिवार के लिए परिपक्व संबंधों की आवश्यकता होती है। ऐसे मामले न्यायालय जा रहे हैं। ये दंपती के अपरिपक्व सोच को प्रदर्शित करता है। ऐसे दंपतियों की काउंसलिंग होनी चाहिए। - डॉ. दीप्ति श्रीवास्तव, समाजशास्त्री
कुटुंब न्यायालय में ऐसे मामले आ रहे हैं, जिसमें पति-पत्नी एक-दूसरे के जीवन मूल्यों में कमी निकाल रहे हैं। दोनों को समझाया जा रहा है कि एक-दूसरे के पसंद-नापसंद का ख्याल रखें और अपने अंदर थोड़ा बदलाव लाएं। इन मामलों में दंपतियों की काउंसलिंग चल रही है। - शैल अवस्थी, काउंसलर, कुटुंब न्यायालय।