Nurses Strike in MP: भोपाल (नवदुनिया प्रतिनिधि)। एक दिन के सामूहिक अवकाश के बाद बुधवार से प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत नर्सों ने बेमियादी हड़ताल शुरू कर दी है। राजधानी भोपाल में सुबह हमीदिया के साथ सुल्तानिया महिला अस्पताल के नर्सिंग कर्मचारी हमीदिया परिसर में इकट्ठा हुए और अपनी मांगों को दोहराते हुए नारेबाजी की। हड़ताल में नर्सिंग कर्मचाररियों के दो संगठन शामिल हैं, जबकि एक गुट आंदोलन में शामिल नहीं हुआ है। एक गुट के शामिल नहीं होने की वजह से 30 से 40 फीसद कर्मचारी काम पर हैं। कोरोना संक्रमण के दौरान संविदा पर नियुक्त नर्सिंग कर्मचारी भी आंदोलन में शामिल नहीं हैं। हालांकि, करीब 60 फीसद कर्मचारियों के हड़ताल में शामिल होने की वजह से वार्ड में मरीजों को इलाज में दिक्कत आ रही है। विकल्प के तौर पर बीएससी नर्सिंग और जीएनएम की पढ़ाई कर रही अंतिम वर्ष की छात्राओं को ड्यूटी पर लगाया गया है।
10 दिन पहले स्वास्थ्य विभाग अधिकारी-कर्मचारी संघ के बैनर तले नर्सिंग कर्मचारियों ने आंदोलन किया था। उनकी भी ज्यादातर मांगें यही थीं। सरकार से मांगें पूरी करने का आश्वासन मिलने के बाद हड़ताल समाप्त हो गई थी। अब दो अन्य गुटों ने हड़ताल शुरू कर दी है।
एस्मा के बाद भी बार-बार स्वास्थ्यकर्मियों की हड़ताल, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं
कोरोना संक्रमण के चलते प्रदेश में अत्यावश्यक सेवा प्रबंधन अधिनियम (एस्मा) लागू है। इसके बाद भी जूनियर डॉक्टरों, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी, स्वास्थ्य विभाग अधिकारी-कर्मचारी संघ और अब स्टेट नर्सेस एसोसिएशन व प्रांतीय नर्सेस एसोसिएशन ने मिलकर आंदोलन शुरू कर दिया है। इसके बाद भी एस्मा के तहत इन पर कार्रवाई नहीं की गई।
ये हैं मांगें
- नर्सों को छत्तीसगढ़ और अन्य राज्यों के समकक्ष उच्चस्तरीय वेतनमान दिया जाए। छत्तीसगढ़ और अन्य राज्यों के मुकाबले नर्सिंग कर्मचारियों का वेतन 15 से 20 हजार तक कम है।
-कोरोना काल के चलते सभी नर्सों को दो वेतनवृद्धि दी जाए। कोरोना योद्धाओं के लिए की गई घोषणाओं पर अमल हो।
-नर्सों की उच्च शिक्षा के लिए उम्र का बंधन हटाया जाए।
-मेडिकल कॉलेजों में स्वशासी के तहत नियुक्त नर्सों को सातवां वेतनमान 2018 की जगह 2016 से दिया जाए।
-पदोन्नति की प्रक्रिया शुरू की जाए।
-मेल नर्स की भर्ती तत्काल की जाए।
हमारी मांगें जायज हैं। इन्हें पूरा करने के लिए हम लंबे समय से मांग कर रहे हैं, लेकिन सुनवाई नहीं हो रही थी। ऐसे में मजबूरी में आंदोलन करना पड़ रहा है। मरीजों को परेशानी न हो, इसलिए सरकार के कहने पर कुछ नर्सों को काम पर लगाया गया है। वे आंदोलन में शामिल हैं, लेकिन काम कर रही हैं।
- रेखा परमार, प्रदेशाध्यक्ष, प्रांतीय नर्सेस एसोसिएशन