भोपाल (नवदुनिया प्रतिनिधि)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार 'मन की बात' में सुरक्षा बलों के श्वान सोफी और विदा का जिक्र किया था। इनकी बहादुरी पर सेना ने दोनों को सम्मानित किया था। इसी तरह से श्वान राजाराम का जिक्र भी किया था। इसने अमरनाथ यात्रा के दौरान गोला बारूद बरामद कराने में सुरक्षा बलों की मदद की थी। इस संदेश में प्रधानमंत्री ने सुरक्षा बलों से भारतीय नस्ल के श्वान को ट्रेनिंग देकर उनका उपयोग करने का संदेश दिया था।
इसी आत्मनिर्भर संदेश के हिस्से के तहत मुधोल हाउंड, रामपुर ग्रेहाउंड, राजा पलायम, कन्नी, कोम्बाई, चिप्पी पराई प्रजाति के करीब डेढ़ दर्जन श्वान को मप्र की पुलिस टीम में शामिल किया गया है। यह बात 23वीं वाहिनी के सेनानी यूसुफ कुरैशी ने श्वान के प्रशिक्षण के शुभारंभ के अवसर पर भदभदा स्थित पुलिस प्रशिक्षण स्कूल (श्वान) में कही। उन्होंने बताया कि इन श्वानों के स्वास्थ्य का परीक्षण किया गया है। उनको रखने वाले स्थान का तापमान व अन्य स्वास्थ्य संकेतकों का ध्यान रखा जाएगा। उनके व्यवहार पर भी नजर रखी जा रही है। उनको संक्रमण से बचाने के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा कि मप्र पुलिस सेना और पैरामिलिट्री के पहली ऐसी इकाई बन गई है, जहां देशी प्रजाति के श्वानों का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
पुलिस के बेड़े में शामिल श्वान की प्रमुख खासियत
मुधोल हाउंड
अंग्रेजों के शासन के दौरान इसकी प्रसिद्धि चरम पर थी। इस श्वान की प्रजाति कनार्टक के बगलकोट में पाई जाती है। शिकार और रफ्तार के मामले में इसकी क्षमता जर्मन शेफर्ड की तुलना में दोगुनी है। इसे कैरावास हाउंड भी कहा जाता है। इनकी उम्र 10 से 12 साल होती है। कनार्टक में इसे करवानी नाम से भी जाना जाता है। पीएम मोदी ने वफादारी में इसकी मिसाल दी थी।
रामपुर ग्रेहाउंड
बीसवीं शताब्दी में रामपुर के नवाब अहमद अली खान ने अफगान हाउंड और इंग्लिश ग्रेहाउंड की क्रास बीड से इस स्वदेशी नस्ल को तैयार कराया था। इस प्रजाति के श्वान शिकार में काफी माहिर माने जाते हैं। इनकी उम्र 13 से 14 साल के करीब होती है।
राजा पलायम
दूधिया रंग की सफेद पतली खाल वाले इस प्रजाति के श्वान का नाम तमिलनाडु के शहर राजा पलायम के नाम पर रखा गया है। ये जंगली सुअरों के शिकार और रखवाली के लिए जाने जाते हैं। इसकी औसत आयु 20 साल होती है। नौ जनवरी 2005 को भारतीय डाक सेवा द्वारा चार स्वदेशी नस्ल के श्वानों के सम्मान में डाक टिकट जारी किया गया है। यह नस्ल बहादुरी, बुद्धिमानी और चुस्ती के लिए जानी जाती है।
कन्नी
तमिल में कन्नी का मतलब शुद्ध होता है। इसकी वफादारी और सच्चे मन के कारण इसे कन्नी नाम दिया गया है। यह श्वान किसी भी हालत में अपने मालिक और घर की रक्षा करते हैं। औसत आयु 14 से 16 साल होती है।
चिप्पी पराई
तमिलनाडु के मदुरै में एक शहर चिप्पीपराई है। कन्नी और चिप्पी पराई देखने में एक जैसे हैं, लेकिन नस्लें अलग हैं। तमिलनाडु के अलावा केरल के पोरियार झील के पास भी यह नस्ल मिलती है। शिकार में बहुत तेज होते हैं। तेज भागना और दस फीट से ज्यादा लंबी छलांग लगाना इनकी खूबी है। हल्के पीले, काले, लाल और भूरे रंग के होते हैं।
कोंबाई
कोंबाई नाम भी तमिलनाडु के एक शहर का है। अगर आप चाहते हैं कि आपके घर के बाहर कोई बैठा हो, चुपके से नजर रखे और घर में किसी भी अजनबी को घुसने नहीं दे तो इसके लिए आप कोंबाई को चुन सकते हैं। यह चालाक और स्वामिभक्त होते हैं।