
अंजली तोमर, भोपाल। भोपाल से चलने वाली कई यात्री और एक्सप्रेस गाड़ियां अक्सर बीच रास्ते में खड़ी हो जाती हैं। कभी पहियों में तकनीकी खराबी आ जाती है तो कभी किसी बोगी की मशीनरी में दिक्कत सामने आती है। ऐसे में सुरक्षा कारणों से ट्रेन को रोकना पड़ता है, जिससे यात्रियों को अपने गंतव्य तक पहुंचने में घंटों की देरी झेलनी पड़ती है। अब रेलवे को इस समस्या से राहत मिलने की उम्मीद है। आधुनिक कैलिप्री व्हील प्रोफाइलोमीटर डिवाइस के इस्तेमाल से पहियों में आने वाली खराबी का पहले ही पता लगाया जा सकेगा, जिससे समय रहते मरम्मत कर ट्रेनों को बीच रास्ते में रुकने से बचाया जा सकेगा।
कैलिप्री व्हील प्रोफाइलोमीटर पहियों के व्हील प्रोफाइल को डिजिटल तरीके से मापने वाला आधुनिक उपकरण है। इसे पहिए की रिम पर लगाया जाता है, जहां इसके सेंसर सतह के संपर्क में आकर फ्लैंज की ऊंचाई व मोटाई, ट्रेड की चौड़ाई और हालोनेस जैसे महत्वपूर्ण बिंदुओं का सटीक मापन करते हैं।
माप लिया गया पूरा डेटा तुरंत डिवाइस में रिकॉर्ड हो जाता है। कई माडलों में यह डेटा ब्लूटूथ या यूएसबी के माध्यम से मोबाइल या लैपटॉप से जोड़ा जा सकता है। इसके बाद सॉफ्टवेयर द्वारा मापे गए प्रोफाइल की तुलना रेलवे के मानक, जैसे आइआरएस या आरडीएसओ से की जाती है, जिससे पहिए की फिटनेस और मरम्मत की आवश्यकता स्पष्ट हो जाती है।
इस तकनीक का सबसे बड़ा फायदा यह है कि पहियों की घिसावट का ट्रेंड पहले से पता चल जाएगा। इससे समय रहते मेंटेनेंस किया जा सकेगा, ट्रेनों को बीच रास्ते में खड़ा करने की नौबत कम आएगी और यात्रियों को अनावश्यक देरी से राहत मिलेगी। साथ ही, मैनुअल गेज की तुलना में यह प्रणाली अधिक सटीक, तेज और मानवीय त्रुटियों से मुक्त मानी जा रही है।
पहले रेलवे में पहियों की जांच मैनुअल गेज के जरिए की जाती थी, जिसमें मापन काफी हद तक कर्मचारियों के अनुभव पर निर्भर रहता था। रेकार्ड लिखित रूप में रखने के कारण डेटा सुरक्षित रखना और पुराने मापों की तुलना करना कठिन होता था। वहीं नए कैलिप्री व्हील प्रोफाइलोमीटर से डिजिटल मापन होता है। मापन डेटा स्वतः रेकार्ड होकर साफ्टवेयर में सेव हो जाता है, जिससे सटीक विश्लेषण और समय पर मेंटेनेंस संभव हो पाता है।
ट्रेन के पहिए किसी भी रेल परिचालन की सबसे अहम कड़ी होते हैं। पहियों के फ्लैंज, ट्रेड और हालोनेस में असामान्य घिसावट होने पर न केवल सफर असहज होता है, बल्कि दुर्घटना का खतरा भी बढ़ जाता है। इसी को ध्यान में रखते हुए अब कैलिप्री व्हील प्रोफाइलोमीटर जैसे आधुनिक पोर्टेबल उपकरण को मेंटेनेंस सिस्टम में शामिल किया गया है। - शिवम त्रिवेदी, कोचिंग डिपो ऑफिसर