कोविड मरीज के इलाज की राशि देने से बीमा कंपनी का इनकार, उपभोक्ता आयोग ने लगाया 70 हजार का हर्जाना
भोपाल में एक बैंक कर्मचारी की कोविड के दौरान मृत्यु के बाद बीमा कंपनी ने इलाज के खर्च का क्लेम अस्वीकार कर दिया। उपभोक्ता आयोग ने बीमा कंपनी को दोषी मानते हुए करीब 70 हजार रुपये का हर्जाना लगाने का आदेश दिया, जिसमें मानसिक क्षतिपूर्ति भी शामिल है।
Publish Date: Mon, 19 Aug 2024 04:50:23 PM (IST)
Updated Date: Mon, 19 Aug 2024 04:50:23 PM (IST)
(फाइल फोटो)HighLights
- बैंक कर्मचारी की मृत्यु के बाद बीमा क्लेम अस्वीकृत हुआ।
- उपभोक्ता आयोग ने कंपनी पर 70 हजार का हर्जाना लगाया।
- तकनीकी गड़बड़ी का बहाना बनाकर राशि देने से इंकार।
नवदुनिया प्रतिनिधि,भोपाल । अक्सर लोग स्वास्थ्य बीमा इसलिए लेते हैं, ताकि बीमार पड़ने पर इलाज में खर्च हुई राशि का भुगतान हो सके, लेकिन बीमा कंपनी तरह-तरह के बहाने बनाकर बीमा राशि देने से इंकार कर देती है। ऐसे ही एक मामले में कोविड काल में एक बैंक के सेवानिवृत्त कर्मचारी की मृत्यु होने के बाद इलाज में खर्च हुई राशि को बीमा कंपनी ने नहीं दिया।
22 अप्रैल 2021 को हो गए कोरोना पॉजिटिव
इस मामले में उनकी पत्नी कोलार निवासी पुष्पा मोटवानी ने नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के शाखा प्रबंधक के खिलाफ याचिका लगाई थी। शिकायत में लिखा था कि उनके पति पंजाब नेशनल बैंक के कर्मचारी थे। बैंक ने सभी कर्मचारियों के लिए स्वास्थ्य बीमा कराया था। उनका बीमा भी हुआ था, जिसकी अवधि एक नवंबर 2020 से 31 अक्टूबर 2021 तक था। इस बीच उनके पति 22 अप्रैल 2021 कोविड पॉजिटिव हो गए। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। उसी दिन रात में उनका निधन हो गया। उनके इलाज में करीब 45 हजार रुपये खर्च हुए।
बीमा कंपनी ने राशि देने से किया इनकार
उपभोक्ता की पत्नी ने बीमा कंपनी ने क्लेम प्रस्तुत किया तो उन्हें बीमा राशि नहीं दी गई। मामले में जिला आयोग की अध्यक्ष गिरीबाला सिंह, सदस्य अंजुम फिरोज व सदस्य अरूण प्रताप सिंह की बेंच ने निर्णय सुनाया कि दो माह के अंदर 7 प्रतिशत व्याज के साथ इलाज में खर्च हुई करीब 45 हजार रुपये और मानसिक क्षतिपूर्ति राशि 20 हजार व वाद-व्यय पांच हजार रुपये देने का आदेश दिया। आयोग ने बीमा कंपनी पर करीब 70 हजार रुपये का हर्जाना लगाया।
नईदुनिया की खबरें अपने व्हाट्सएप पर पाने के लिए क्लिक करें…
आयोग ने बीमा कंपनी को दोषी ठहराया
उपभोक्ता के अधिवक्ता मोना पालीवाल ने बताया कि बीमा कंपनी ने तकनीकी गड़बड़ी के कारण का बहाना बनाकर बीमा राशि देने से इंकार कर दिया। कंपनी ने तर्क रखा कि उपभोक्ता ने इलाज में खर्च जीएसटी सहित बिल जमा नहीं किए। आयोग ने तर्क रखा कि कोविड की विषम परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए बीमा कंपनी को उपभाेक्ता द्वारा प्रस्तुत किए गए क्लेम को मान्य करना था। ऐसा ना कर बीमा कंपनी ने सेवा में कमी की है।