नवदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। कोई भी व्यक्ति व्यक्तिगत बीमा इसलिए लेता है कि मुसीबत में काम आए, लेकिन जरूरत के समय अकसर बीमा कंपनियां मामूली तकनीकी गलतियों के आधार पर दावा निरस्त कर देती हैं। ऐसे ही एक मामले में भोपाल जिला उपभोक्ता आयोग ने साफ कर दिया कि ऐसे मामलों में बहाना नहीं चलेगा। बीमा कंपनी को दावे की राशि का भुगतान करना ही होगा। हालांकि बीमित की गलतियों के लिए बीमा राशि का कुछ हिस्सा काटा जा सकता है।
दरअसल अमरावद खुर्द निवासी अनीता चौहान ने लिबर्टी जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के खिलाफ जिला उपभोक्ता आयोग में याचिका लगाई थी। इसमें शिकायत थी कि उनके पति सुरजीत सिंह ऑटो चालक थे। उन्होंने बीमा कंपनी से व्यक्तिगत बीमा कराया था। 2021 में भोपाल से विदिशा जाते समय बालमपुर घाटी के पास मिनी ट्रक की टक्कर से उनकी मौत हो गई। उसके बाद उन्होंने दुर्घटना बीमा दावा प्रस्तुत किया, लेकिन बीमा कंपनी ने ऑटो का परिचालन परमिट रूट से अलग चलाए जाने के आधार पर बीमा निरस्त कर दिया। बीमा कंपनी का कहना था कि वाहन का अस्थायी परमिट भोपाल नगर निगम की सीमा तक प्रदान किया गया था, लेकिन उपभोक्ता सवारियों को बालमपुर घाटी में नगर निगम क्षेत्र के बाहर ले गया।
वहां दुर्घटना होने से बीमा पालिसी की शर्तों का उल्लंघन किया गया है। आयोग ने बीमा कंपनी की बात को पूरी तरह स्वीकार नहीं किया। आयोग का कहना था कि उपभोक्ता के पास ड्राइविंग लाइसेंस सहित सभी दस्तावेज सही पाए गए थे। दुर्घटना के समय परमिट क्षेत्र से बाहर होना बीमा पालिसी की मूलभूत शर्तों का उल्लंघन नहीं था। अत: बीमा कंपनी का यह दायित्व था कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा ऐसे ही एक मामले में नॉन स्टैंडर्ड के आधार पर बीमा धन का 75 प्रतिशत राशि का भुगतान करे। जिला आयोग ने बीमा कंपनी को बीमा दावे 15 लाख रुपये का 75 प्रतिशत यानी 11.25 लाख रुपये देने का आदेश दिया। इसके साथ ही 13 हजार रुपये मानसिक क्षतिपूर्ति राशि देने का भी आदेश दिया।
बीमा कंपनी ने वाहन के परमिट क्षेत्र का उल्लंघन बताकर दावा निरस्त किया था। ऐसे ही एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उपभोक्ता के पक्ष में निर्णय सुनाया था। उस निर्णय को आधार बनाते हुए आयोग ने उपभोक्ता को बीमा दावे का 75 प्रतिशत दिलाया है। बीमा कंपनी को मानसिक क्षतिपूर्ति का दायी भी बनाया गया है। मोना पालीवाल, उपभोक्ता की अधिवक्ता।