-सरकारी मशीन की ट्रेनिंग में फेल हो रहे आरआई-पटवारी,
-प्राइवेट कंपनियां सीमांकन कर काट रही चांदी
भोपाल (नप्र)। जमीन, प्लॉट के सीमांकन के लिए भू-अभिलेख कार्यालय ने नई तकनीक शुरू तो कर दी है, लेकिन इसका फायदा आम जनता को नहीं मिल रहा है। वजह यह है कि जिन राजस्व निरीक्षक (आरआई) और पटवारियों को इस मशीन से सर्वे करना है, वे इसे चलाना ही नहीं सीख पा रहे हैं। इन्हें सिखाने के लिए दो-तीन बार ट्रेनिंग भी हो चुकी है। इसके बावजूद मशीन से सर्वे नहीं हो पा रहा है। इससे प्राइवेट कंपनियां सीमांकन का काम कर रही हैं। इस वजह से सीमांकन के लिए लोगों को 50 रुपए की बजाय आठ हजार रुपए तक चुकाने पड़ रहे हैं।
जिले के सातों सर्कल में भू-अभिलेख कार्यालय ने नई तकनीक की टोटल स्टेशन मशीनें पहुंचा दी हैं। यहां तैनात आरआई (राजस्व निरीक्षक) और पटवारियों को इन मशीनों को चलाने की ट्रेनिंग भी दी जा चुकी है। तहसील कार्यालयों में सीमांकन की प्रकरणों की संख्या ज्यादा होने की वजह से आरआई और पटवारियों ने सीमांकन के लिए निजी कंपनियों से संपर्क कर लिया है। यह कंपनी संचालक अब सीधे आवेदक को अपने आफिस में बुलाकर सौदा तय कर रहे हैं। इसके लिए बाकायदा तहसील कार्यालय में आवेदन भी जमा करवाया जाता है। इसके बाद तय समय में मौके पर पहुंचकर सीमांकन कर दिया जाता है। यह रिपोर्ट तहसील कार्यालय में पदस्थ संबंधित आरआई और पटवारी को पेश की जाती है। आरआई इस रिपोर्ट को आधार बनाकर सीमांकन की रिपोर्ट तहसीलदार को पेश कर देता है।
रोज हो रहे एक दर्जन सीमांकन
शहर में रोजाना एक दर्जन से अधिक सीमांकन हो रहे हैं। इनमें अधिकतम सीमांकन प्राइवेट सर्वेयर कर रहे हैं। इस संबंध में अधिकारियों का कहना है कि अगर शिकायत मिलेगी तो कार्रवाई की जाएगी।
यह है सीमांकन की प्रक्रिया
खरीद-फरोख्त, बंटवारा या किसी दूसरे व्यक्ति के अतिक्रमण करने की स्थिति में सीमांकन किया जाता है। सीमांकन में संबंधित व्यक्ति की भूमि सरकारी तौर पर चिन्हित की जाती है। इस नपती के आधार पर ही नामांतरण किया जाता है। वर्तमान में इसके लिए तहसील कार्यालय में सादे कागज पर आवेदन किया जाता है, जिसमें एक से पांच एकड़ तक 50 रुपए फीस जमा होती है। सीमांकन के लिए अधिकतम एक माह का समय दिया जाता है।
तीन एकड़ के साढ़े आठ हजार रुपए
प्रायवेट सर्वे कंपनी ने एक एकड़ से लेकर पांच एकड़ तक जमीन का सीमांकन करने के 5 हजार रुपए तय किए हैं। पांच एकड़ से ज्यादा जमीन होने की स्थिति में एक हजार रुपए प्रति एकड़ राशि वसूल की जाती है। मैपिंग के साढ़े तीन हजार रुपए फिक्स हैं, इसमें आप कितनी भी जमीन का सीमांकन करा सकते हैं।
इनका कहना है
सीमांकन के लिए नई तकनीक की मशीनों को सिखाने के लिए आरआई, पटवारियों को ट्रेनिंग दी जा रही है। अभी वे ट्रेनिंग में फेल हो रहे हैं। लेकिन जब तक वे नहीं सीखेंगे, ट्रेनिंग जारी रहेगी। अगर प्राइवेट कंपनियां सीमांकन कर रही हैं तो शिकायत मिलने पर कार्रवाई की जाएगी।
निशांत वरवड़े, कलेक्टर