
नईदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। जमीअत उलमा-ए-हिंद की भोपाल में हुई गवर्निंग बाड़ी की बैठक में समान नागरिक संहिता और वक्फ संशोधन का विरोध व फलस्तीन के समर्थन में प्रस्ताव पारित किया गया। इस्लामिक माहौल वाले आधुनिक स्कूलों की स्थापना पर जोर दिया गया। दारुल उलूम देवबंद के प्रोफेसर मौलाना मोहम्मद सलमान बिजनौरी ने कहा कि ईमान सबसे बड़ी नेमत है और इसकी रक्षा के लिए हर त्याग दिया जा सकता है।
इसी उद्देश्य से इस्लामी माहौल वाले स्कूलों की स्थापना अपरिहार्य हो गई है, अन्यथा हमारी पीढ़ियां बौद्धिक और धार्मिक भटकाव का शिकार हो सकती हैं। उन्होंने मदरसों पर लग रहे आरोपों को निराधार बताया और विरोधियों को खुद मदरसों का दौरा करने का न्योता दिया। जमीअत उलमा उत्तर प्रदेश के उपाध्यक्ष सैयद नोमान शाहजहांपुरी ने इस्लामी मदरसों के संरक्षण और इस्लामी वातावरण में आधुनिक स्कूलों की स्थापना संबंधी एक प्रस्ताव पेश किया।
इस प्रस्ताव में इसकी जरूरत और लक्ष्यों को लेकर पूरा खाका पेश किया गया। बैठक में बढ़ती नफरत और इस्लामोफोबिया की बात कहते हुए इसे रोकने, लव जिहाद की अवधारणा, फलस्तीन की चिंताजनक स्थिति, समान नागरिक संहिता, असम और एसआइआर की स्थिति और वक्फ संशोधन अधिनियम पर जमीअत के रुख से जुड़ा प्रस्ताव पेश किया गया, जिसे सर्वसम्मति से पारित किया गया। इस बैठक में पूरे देश से 1500 लोग शामिल हुए थे।
जमीअत की प्रबंधन समिति में दारुल उलूम देवबंद के शिक्षक मौलाना मोहम्मद सलमान बिजनौरी और कारी मुहम्मद अमीन पोकन को उपाध्यक्ष चुना गया। वहीं कारी मोहम्मद शौकत अली वेट को कोषाध्यक्ष चुना गया।