
राज्य ब्यूरो, नईदुनिया, भोपाल। मध्य प्रदेश में जिस तरह उद्योगपति निवेश प्रस्ताव दे रहे हैं, इसे देखते हुए अब सरकारी भूमि के साथ ही निजी भूमि पर भी औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने की दिशा में सरकार काम कर रही है। राज्य सरकार के सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) विभाग ने इसके लिए नीति बनाई है, जिसके तहत अब अगर कोई निजी भू-स्वामी अपनी भूमि पर औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने का इच्छुक है तो सरकार औद्योगिक क्षेत्र में अधोसंरचना विकास पर व्यय राशि का अधिकतम 40 करोड़ रुपये तक प्रतिपूर्ति करेगी।
अधोसंरचना विकास पर 40 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर दिया जाएगा। यहां फार्मा, कृषि सहित अन्य सेक्टर की औद्योगिक इकाइयां लगाई जा सकेगी। इस जमीन पर इकाई स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। साथ ही पूंजी निवेश को आकर्षित करने और अधिक से अधिक रोजगार देने के लिए प्रशासन की ओर से व्यापक प्रयास किए जाएंगे। निवेशकों को भूमि मुहैया कराने के लिए निजी भूमि पर औद्योगिक क्षेत्र विकसित कर किराए पर दिए जाएंगे।
इसके लिए इच्छुक एक व्यक्ति या अधिक व्यक्ति समूह बनाकर जमीन दे सकेंगे। प्रति एकड़ पर शासन की ओर से बाउंड्री बाल पार्क सड़क और निर्माण के लिए सरकार को बैंक से ऋण भी उपलब्ध कराने में मदद करेगी। भू-स्वामी औद्योगिक कंपनी के मालिकों को एक निश्चित समय के लिए किराए पर जगह आवंटित करेंगे।
प्रदेश में निवेशकों के उपयुक्त लोकेशन वाली सरकारी जमीन औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने के लिए कम पड़ने लगी हैं। निवेशक चाहता है कि उसे बिजली, पानी सहित औद्योगिक इकाई स्थापित करने के लिए जो मूलभूत सुविधाएं है नजदीक ही मिलें, लेकिन सरकार के अधिकांश औद्योगिक केंद्र ऐसी जगह हैं जहां यह सुविधाएं पहुंचाने में लागत अधिक लगती है। जिसके चलते अब ऐसे निजी क्षेत्रों का चयन किया जा रहा है, जो शहर से लगे हुए हैं और राज्य व राष्ट्रीय राजमार्गों से सीधे जुड़े हों, ताकि उनको अपना उत्पादित माल ट्रांसपोर्ट करने में भी आसानी हो।
निवेशकों को अपनी औद्योगिक इकाई स्थापित करने के लिए उपयुक्त स्थान उपलब्ध कराने का प्रयास है। इसके लिए सरकारी भूमि पर स्थापित औद्योगिक केंद्रों के अलावा अब निजी भूमि पर भी औद्योगिक केंद्र विकसित किए जा रहे हैं। इसके लिए निजी भू-स्वामी को अधोसंरचना विकास पर व्यय की प्रतिपूर्ति भी की जाएगी। दिलीप कुमार, आयुक्त, एमपी, एमएसएमई