मुकेश विश्वकर्मा, नईदुनिया, भोपाल। मध्य प्रदेश के शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय अब स्कूलों और कालेजों में हर्बल गार्डन विकसित करने की तकनीक साझा करेंगे। इस पहल का उद्देश्य अधिक से अधिक शैक्षणिक संस्थानों में औषधीय पौधे लगाना और नई पीढ़ी को इन पौधों के महत्व की जानकारी देना है। केंद्रीय आयुष मंत्रालय की इस पहल के दौरान विशेषज्ञ स्कूलों में जाकर बताएंगे कि किन-किन औषधीय पौधों को घर में लगाया जा सकता है और उनकी देखभाल किस तरह करनी चाहिए।
भोपाल में इसकी जिम्मेदारी शासकीय पंडित खुशीलाल शर्मा आयुर्वेद महाविद्यालय ने उठाई है। महाविद्यालय के विशेषज्ञों का दल स्कूलों और कालेजों में जाकर विद्यार्थियों को बता रहा है कि हर्बल गार्डन में तुलसी, गिलोय, अश्वगंधा, एलोवेरा और शतावरी जैसे पौधे कैसे लगाए और संभाले जा सकते हैं। साथ ही पौधों की उपयोगिता और औषधीय गुण भी समझाए जा रहे हैं। शिक्षकों को भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
संस्थान की ओर से आयुर्वेदिक किचन वर्कशाप भी आयोजित हो रही है। इसमें विद्यार्थियों को पौष्टिक और स्वास्थ्यकर व्यंजन तैयार करना सिखाया जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि बचपन से ही प्राकृतिक खानपान और औषधीय पौधों का महत्व समझ में आएगा, तो बच्चे आगे चलकर इन्हें अपनी जीवनशैली का हिस्सा बना सकेंगे।
अस्पताल के दृव्यगुण विभाग की प्रमुख डॉ. अंजली जैन ने बताया कि हर्बल गार्डन छात्रों को किताबों से परे जाकर प्रत्यक्ष अनुभव देता है। जब बच्चे इन पौधों को लगाते और उनकी देखभाल करते हैं तो वे प्रकृति और स्वास्थ्य के बीच के गहरे संबंध को समझ पाते हैं।
हमारी कोशिश है कि हर शैक्षणिक संस्थान और घर में हर्बल गार्डन हो, इससे बच्चों में आयुर्वेद के प्रति लगाव बढ़ेगा। आयुष मंत्रालय की पहल को हम बड़े स्तर पर ले जाने की कोशिश कर रहे हैं। - डॉ. उमेश शुक्ला, प्राचार्य, पंडित खुशीलाल शर्मा आयुर्वेद अस्पताल