छिंदवाड़ा की एक और बच्ची की इलाज के दौरान नागपुर में गई जान, 10 पर पहुंचा मौत आंकड़ा; सरकार ने सिरप पर लगाया बैन
किडनी फेल होने से छिदवाड़ा की एक बच्ची की मौत हो गई है। नागपुर में पिछले एक सप्ताह से योगिता ठाकरे का इलाज चल रहा था। वह भी आज जिंदगी की जंग हार गई। अब तक छिंदवाड़ा के 10 बच्चों की मौत किडनी फेल होने से हुई है।
Publish Date: Sat, 04 Oct 2025 12:03:49 PM (IST)
Updated Date: Sat, 04 Oct 2025 03:38:30 PM (IST)
कोल्ड्रिफ सिरप जिससे चली गई 9 बच्चों की जान।HighLights
- एमपी के छिंदवाड़ा में सिरप से 10 बच्चों की हो चुकी है मौत।
- इस कोल्ड्रिफ सिरप को बनाने वाली फैक्ट्री कांचीपुरम में है।
- राज्य सरकार ने तमिलनाडु सरकार को जांच के लिए कहा था।
राज्य ब्यूरो, भोपाल। किडनी फेल होने से छिदवाड़ा की एक बच्ची की मौत हो गई है। नागपुर में पिछले एक सप्ताह से योगिता ठाकरे का इलाज चल रहा था। वह भी आज जिंदगी की जंग हार गई। अब तक छिंदवाड़ा के 10 बच्चों की मौत किडनी फेल होने से हो गई है।
इधर मध्य प्रदेश में के छिंदवाड़ा में कोल्ड्रिफ सिरप से हुई बच्चों की मौत के बाद इस पर बैन लगा दिया गया है। सीएम डॉ. मोहन यादव ने एक्स पर पोस्ट कर लिखा कि छिंदवाड़ा में कोल्ड्रिफ सिरप के कारण हुई बच्चों की मृत्यु अत्यंत दुखद है। इस सिरप की बिक्री को पूरे मध्य प्रदेश में बैन कर दिया है। सिरप को बनाने वाली कंपनी के अन्य प्रोडक्ट की बिक्री पर भी बैन लगाया जा रहा है। राज्य सरकार द्वारा प्रभावित परिवारों को प्रति दिवंगत 4-4 लाख रुपए की सहायता राशि देने के निर्देश दिए गए हैं।
सिरप बनाने वाली फैक्ट्री कांचीपुरम में है, इसलिए घटना के संज्ञान में आने के बाद राज्य सरकार ने तमिलनाडु सरकार को जांच के लिए कहा था। आज सुबह जांच रिपोर्ट प्राप्त हुई। रिपोर्ट के आधार पर कड़ा एक्शन लिया गया है। बच्चों की दुखद मृत्यु के बाद स्थानीय स्तर पर कार्रवाई चल रही थी। राज्य स्तर पर भी इस मामले में जांच के लिए टीम बनाई गई है। दोषियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा।
केंद्र सरकार की एडवाइजरी : दो वर्ष से छोटे बच्चों को खांसी का सिरप नहीं दें
- केंद्र के स्वास्थ्य स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक ने एडवाइजरी में कहा है कि बच्चों को कफ सिरप का विवेकपूर्ण उपयोग करें। खांसी की बीमारियां स्वतः ही ठीक हो जाती हैं, दवा की आवश्यकता नहीं होती।
- दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों को खांसी और सर्दी की दवाएं नहीं दी जानी चाहिए। आमतौर पर पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए यह अनुशंसा नहीं की जाती है। बहुत जरूरत लगने पर जांच, निगरानी कर उचित खुराक देनी चाहिए।
बीमारी में पर्याप्त पानी पीएं और आराम करें। राज्य सरकारें डाक्टरों और फार्मासिस्टों को इसके बारे में बताए।