भोपाल। राज्य सरकार पिछले दस साल में छह टाइगर रिजर्व के लिए हाथियों को इंतजाम नहीं कर पाई है। इस अवधि में अंडमान-निकोबार से कर्नाटक तक अफसरों ने तीन यात्राएं कर लीं, लेकिन हाथी लाने में सफल नहीं रहे।
अब राजस्थान से आस है। यहां राजा-महाराजाओं के समय से पाले जा रहे हाथियों को वन विभाग ने जब्त किया है। इसमें भी एक पेंच है। यदि हाईकोर्ट इन हाथियों को मप्र को देने की इजाजत देगा, तभी उन्हें यहां लाया जा सकेगा। फिलहाल वन विभाग की राजस्थान के अफसरों से बात चल रही है।
प्रदेश में कान्हा, बांधवगढ़, पेंच, पन्ना, संजय दुबरी और सतपुड़ा टाइगर रिजर्व हैं। सभी में एलीफेंट सफारी (हाथी पर बैठाकर बाघ दिखाना) कराई जाती है। इनमें 50 हाथियों की जरूरत है, लेकिन वर्तमान में विभाग के पास 29 हैं। इसलिए 21 हाथियों को अन्य राज्यों से लाने की कोशिशें वर्ष 2007 से चल रही हैं।
इसे लेकर वन विभाग की वाइल्ड लाइफ विंग के तत्कालीन एपीसीसीएफ डॉ. एचएस पाबला अंडमान-निकोबार द्वीप समूह की यात्रा कर चुके हैं। इसके बाद बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर अतुल पाठक दो बार कर्नाटक गए, लेकिन बात नहीं बनी। कभी विभाग की ओर से तो कभी संबंधित राज्य की ओर से अड़ंगे लगते रहे। इस वजह से हाथी नहीं आ सके।
कर्नाटक का प्लान भी फेल
कर्नाटक से हाथी लाने का प्लान भी फेल होता नजर आ रहा है। दरअसल, कर्नाटक सरकार तैयार है, लेकिन नेशनल एलीफेंट प्रोजेक्ट (राष्ट्रीय हाथी परियोजना) दिल्ली से अनुमति लेने का पेंच फंस गया है। वैसे तो वाइल्ड लाइफ विंग ने अनुमति लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, लेकिन जल्द काम बनता नहीं दिखाई दे रहा है।
राजस्थान की योजना ज्यादा आसान
विभाग ने हाल ही राजस्थान के वन अधिकारियों से बात की है। वहां हाथियों का राज्य में न तो कोई इस्तेमाल हो रहा है और न ही विभाग के पास उन्हें रखने के इंतजाम हैं। इसलिए वे उन्हीं लोगों के सुपुर्द हैं, जिनसे जब्त किए गए थे। वन विभाग को यह योजना आसान लग रही है। हालांकि यहां भी कोर्ट के फैसले पर सब निर्भर करेगा, क्योंकि हाथियों की जब्ती के मामले कोर्ट में चल रहे हैं।
प्रशिक्षण देना पड़ेगा
बताया जा रहा है कि वन विभाग राजस्थान से हाथी तो ले आएगा, लेकिन वे एलीफेंट सफारी में चल पाएंगे या नहीं, इसे लेकर अभी असमंजस है। दरअसल, इन हाथियों का बाघ से कभी सामना नहीं हुआ है। पार्कों में बाघ से सामना होने पर इनकी प्रतिक्रिया कैसी रहेगी। यह अभी वन अफसर भी नहीं कह सकते हैं। हालांकि अफसर जंगल में उतारने से पहले इन्हें प्रशिक्षित करने की बात कर रहे हैं।
प्रक्रिया चल रही है
राजस्थान से हाथी लाने की तैयारी चल रही है। प्रदेश हमें हाथी देने को भी तैयार है और यहां से लाना आसान भी है। इसके लिए कोर्ट की अनुमति लेना पड़ेगी। यहां आने के बाद उनको एलीफेंट सफारी के लिए प्रशिक्षित करके जंगल में उतारा जाएगा।
- शाहबाज अहमद, चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन
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