सौरभ सोनी, नईदुनिया, भोपाल(MP Liquor Shop)। मध्य प्रदेश सरकार ने शराब की कालाबाजारी रोकने के लिए नई व्यवस्था की है। नई आबकारी नीति के तहत अब शराब की बोतल पर लगे बार कोड से पता चल जाएगा कि शराब नकली है या असली।
कागज की सील यानी एक्साइज लेबल (ईएल) पर बार कोड होगा, जिसे स्केन करते ही शराब की शुद्धता भी पता चलेगी। इतना ही नहीं शराब की बोतल किस गोदाम की है और किस दुकान से बेची गई है, यह जानकारी भी मिल जाएगी।
इससे मप्र के बाहर से आने वाली शराब की खपत और खाली बोतल में नकली शराब की मिलावट को रोका जा सकेगा। इसके अलावा शराब की दुकानों को कैशलेस भी किया जाएगा। केवल पीओएस मशीन से ही बिलिंग की जाएगी। वेयरहाउस भी स्मार्ट बनाए जाएंगे।
पहले व्यवस्था थी कि वन क्षेत्र के रिजार्ट में बार का लाइसेंस नगर से 30 किलोमीटर दूर और वन क्षेत्र से 20 किलोमीटर के अंदर सीमा में निर्धारित किया गया था, लेकिन इससे व्यावहारिक कठिनाई आ रही थी। कई क्षेत्रों में बार के लाइसेंस नहीं दिए जा सकते थे।
ऐसे में यह दूरी भी घटाई जा रही है। अब शहर से सटे जंगलों में भी रिजार्ट में बार के लाइसेंस दिए जा सकेंगे। दरअसल, जंगल के रिजार्ट की लाइसेंस फीस कम होती है और इसके दुरुपयोग की संभावना बनी हुई थी, नई व्यवस्था इसका भी ध्यान रखा गया है।
प्रदेश में शराब की खपत लगातार बढ़ रही है। इसके साथ ही सरकार की राजस्व अय भी बढ़ रही है। साल 2024-25 में 16 हजार करोड़ रुपये का राजस्व लक्ष्य रखा गया है। इसके विरुद्ध शराब दुकानों के नवीनीकरण और नीलामी से अब तक 13941 हजार करोड़ रुपये राजस्व मिलना सुनिश्चित हुआ है।
इसके अलावा अन्य शुल्कों से भी राजस्व आय होनी है। वित्तीय वर्ष खत्म होने में अभी कुछ महीने बाकी हैं। इससे साफ है कि शराब बिक्री से सरकार को अच्छा खासा मुनाफा होगा।