सौरभ सोनी, नईदुनिया, भोपाल। नर्मदा नदी के जल को प्रदूषण से बचाने के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने कई कदम उठाने की योजना बनाई है। नदी के दोनों किनारों के पांच-पांच किमी तक प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित किया जाएगा। इससे कीटनाशक व अन्य रसायनों के नर्मदा नदी में जाने से रोकने में मदद मिलेगी। नदी के दोनों ओर स्थित जनजातीय बहुल क्षेत्र में साल और सागौन का पौधारोपण और जड़ी-बूटियों की खेती को प्राथमिकता दी जाएगी।
समृद्ध बायोडायवर्सिटी के संरक्षण व प्रोत्साहन गतिविधियों में वनस्पति शास्त्र और प्राणी शास्त्र के विशेषज्ञों को जोड़ते हुए विविध गतिविधियां संचालित की जाएंगी। नर्मदा तट पर बसे धार्मिक नगरों और स्थलों के आसपास मांस-मदिरा का उपयोग कड़ाई से प्रतिबंधित किया जाएगा। इसके अलावा अमरकंटक में उद्गम स्थल से दूर भूमि चिह्नित कर सैटेलाइट सिटी विकसित की जाएगी।
बता दें कि बीते दिनों मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के सामने एक समीक्षा बैठक में यह विषय आया था। मुख्यमंत्री ने वन एवं पर्यावरण विभाग को नोडल विभाग बनाने के निर्देश दिए थे। यही विभाग योजना बनाएगा और क्रियान्वित करेगा। इसके तहत पर्यावरण संरक्षण के लिए नर्मदा के आसपास चलने वाली गतिविधियों पर सैटेलाइट इमेजरी व ड्रोन टेक्नोलॉजी के माध्यम से भी नजर रखी जाएगी।
विभिन्न शासकीय विभागों के साथ स्वयंसेवी संगठनों, आध्यात्मिक मंचों और जनसामान्य की सक्रिय सहभागिता से कार्ययोजना को धरातल पर उतारा जाएगा। मप्र में अमरकंटक से आंरभ होकर खम्बात की खाड़ी(अरब सागर) में मिलने वाली 1312 किलोमीटर लंबी नर्मदा नदी की प्रदेश में लंबाई 1079 किलोमीटर है। नर्मदा के किनारे 21 जिले, 68 तहसीलें, 1138 ग्राम और 1126 घाट हैं। नर्मदा किनारे 430 प्राचीन शिव मंदिर और दो शक्तिपीठ विद्यमान हैं।