
राज्य ब्यूरो, नईदुनिया, भोपाल। प्रदेश में प्रतिवर्ष दो से तीन नए मेडिकल कॉलेज खुल रहे हैं। अभी सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की 5550 सीटें हैं। वर्ष 2028 तक यह बढ़कर 7450 हो जाएगी। साढ़े पांच वर्ष में एमबीबीएस कोर्स पूरा हो जाता है। यानी वर्ष 2034 के बाद प्रतिवर्ष 7450 डॉक्टर मिलेंगे। अभी प्रदेश में सरकारी और निजी मिलाकर 55 हजार डॉक्टर हैं। प्रदेश की अनुमानित आठ करोड़ 80 लाख जनसंख्या के हिसाब से 1600 लोगों पर एक डॉक्टर है, जबकि डब्ल्यूएचओ मापदंड के अनुसार एक हजार लोगों पर एक होना चाहिए।
मौजूदा सीटों के हिसाब से देखें तो अगले 10 वर्ष में 50 हजार डाक्टर निकलेंगे। पुराने डाक्टरों को भी जोड़ लें तो वर्ष 2035 तक प्रदेश में लगभग एक लाख डॉक्टर होंगे। जनगणना निदेशालय के अनुसार वर्ष 2035 तक प्रदेश की अनुमानित जनसंख्या नौ करोड़ 60 लाख होगी। इस मान से एक हजार लोगों पर एक एलोपैथी डॉक्टर हो जाएगा।
प्रदेश के निजी और शासकीय कालेजों से अभी प्रतिवर्ष 3500 एमबीबीएस डिग्रीधारी डॉक्टर निकल रहे हैं। इनमें 800 से 1000 मप्र मेडिकल काउंसिल से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेकर दूसरे राज्यों में चले जाते हैं, जबकि दूसरे राज्यों से पढ़ाई करके मप्र आने वाले डॉक्टरों की संख्या लगभग 600 रहती है। इसका कारण नीट पीजी की तैयारी के लिए दूसरे राज्यों में उन्हें अच्छे अवसर मिल जाते हैं। दूसरा, उन्हें वेतन भी अच्छा मिल जाता है। ऐसे में सरकार के सामने बड़ी चुनौती मप्र से निकले डॉक्टरों को प्रदेश में ही रोकने की है। मप्र चिकित्सा शिक्षक संघ के अध्यक्ष डा. राकेश मालवीय कहते हैं कि डाक्टरों के रहने के लिए और अस्पतालों में मूलभूत सुविधाएं और वेतन-भत्ते सरकार बेहतर करना होगा, तभी डॉक्टर रुकेंगे।
वर्ष शासकीय-- निजी -- कुल
1946 से 2003- 5 -- 1 -- 6
2003 से 2025 - 19- 14-- 33
2026 से 2028 खुलेंगे-- 6 -- 18 -- 19
2028 के बाद कॉलेज हो जाएंगे-25 - 27 -- 52 ---
एमबीबीएस सीटें वर्ष --शासकीय-- निजी-- कुल
2025-26 तक -- -- 2850 -- 2700 -- 5550
2026 से 2028 के बीच हो जाएंगी -- 3450 -- 4000--7450
प्रदेश में मेडिकल कालेज तेजी से खुल रहे हैं, पर इन डाक्टरों को प्रदेश में रोकना होगा। मुख्यमंत्री ने भी हाल ही में यह बात कही है। बांडेड डाक्टरों को नियमित के बराबर वेतन देने के लिए कहा है। आगे की पढ़ाई के लिए भी उन्हें पर्याप्त अवसर मिलना चाहिए। सरकार को इस बात का गहराई से परीक्षण करना चाहिए कि डाक्टर यहां क्यों नहीं रुकना चाहते। डा. पंकज शुक्ला पूर्व संचालक, एनएचएम।