मदन मोहन मालवीय, नईदुनिया, भोपाल। मध्य प्रदेश के सभी औद्योगिक क्षेत्रों में बिजली कटौती के कारण कोई व्यवस्था प्रभावित न हो, इसके लिए अब एक माह में अधिकतम पांच बार या फिर पांच घंटे ही बिजली कटौती की जा सकेगी। इसको लेकर मध्य प्रदेश विद्युत विनियामक आयोग ने औद्योगिक क्षेत्र और 11 केवी फीडर में बिजली कटौती की संख्या व घंटे के मानक तय किए हैं। इसमें संभाग मुख्यालय, जिला मुख्यालय और औद्योगिक क्षेत्रों के लिए अलग-अलग मापदंड हैं।
संभाग मुख्यालय और जिला मुख्यालयों में महीने में 25 बार और अधिकतम 15 घंटे तक कटौती तय की गई है। तय मानकों के अनुसार वर्ष 2026-27 तक यह प्रयास किए जा रहे हैं कि बड़े शहरों में उपभोक्ताओं को सालभर में 90 बार ही कटौती की समस्या से रूबरू होना पड़े, वह भी सिर्फ 60 घंटे से ज्यादा नहीं।
बता दें कि आयोग ने वर्ष 2012 में पहली बार वितरण प्रदर्शन मानक तय किए थे। इसमें वर्ष 2021 में संशोधन किया गया था। अब एक बार फिर आयोग ने बिजली कटौती के मानक नए सिरे से तय कर दिए हैं, जिसका पालन करने के निर्देश बिजली कंपनियों को दिए हैं। बिजली कंपनियों को तय मानकों को पूरा करने के लिए अपने इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने की भी अनुशंसा की गई है।
आयोग ने निर्देश दिए हैं कि बिजली कंपनियां इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत करें, तकनीक और प्रशिक्षित मानव संसाधन का उपयोग करें, ताकि तय मानकों को हासिल किया जा सके। आवश्यकता पड़ने पर पूंजीगत व्यय प्रस्ताव आयोग के पास अनुमोदन के लिए भेजे जाएं।
प्रदेश के एक लाख से अधिक आबादी वाले शहरों के लिए आयोग ने तीन साल का रोडमैप तय किया है। इसके मुताबिक वर्ष 2024-25 के लिए अधिकतम बिजली कटौती 120 बार और 90 घंटे तय है। इसे साल 2025-26 तक साल में अधिकतम 90 बार और 60 घंटे तक समिति करने का लक्ष्य दिया गया है।
हालांकि बिजली कंपनियों को प्राकृतिक आपदा जैसे बाढ़, तूफान या फिर ऐसे कारण जिनके लिए आयोग की अनुमति लेना पड़े और वितरण व्यवस्था फेल हो जाए, में इन निर्धारित मानकों से छूट दी गई है।