Madhya Pradesh News: दो माह में तैयार होगा 1405 रेत खदानों का माइनिंग प्लान, निविदा जारी
Madhya Pradesh News: खनन योजना के साथ ही पर्यावरण स्वीकृति का जिम्मा भी निजी कंपनियों को ही सौंपा जा रहा है।
By Hemant Kumar Upadhyay
Edited By: Hemant Kumar Upadhyay
Publish Date: Mon, 13 Mar 2023 06:47:00 PM (IST)
Updated Date: Mon, 13 Mar 2023 06:47:00 PM (IST)

Madhya Pradesh News: भोपाल(राज्य ब्यूरो)। मध्य प्रदेश खनिज निगम ने रेत खदानों की खनन योजना (माइनिंग प्लान) के लिए निविदा जारी कर दी है। इसके लिए 26 समूह बनाए गए हैं। ठेका लेने वाली कंपनी को प्रदेश के 48 जिलों में स्थित 1405 रेत खदानों की खनन योजना बनानी होगी।
इसके आधार पर ही अगले वित्त वर्ष में रेत खदानों की नीलामी होगी। वहीं नर्मदा नदी के किनारे स्थित पांच हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल में फैली रेत खदानों की खनन योजना बनाने के लिए कंपनी को दो माह और पांच हेक्टेयर से कम क्षेत्रफल की खदान की खनन योजना बनाने के लिए एक माह का समय दिया जाएगा।
खनन योजना के साथ ही पर्यावरण स्वीकृति का जिम्मा भी निजी कंपनियों को ही सौंपा जा रहा है। पर्यावरण स्वीकृति के लिए जिला एवं प्रदेश स्तरीय पर्यावरण समिति के समक्ष प्रस्ताव रखा जाएगा। ठेका लेने वाली कंपनी काम करेगी, पर उसे समयसीमा के बंधन में नहीं बांधा है।
दरअसल, पर्यावरण अनुमति समिति की बैठक पर निर्भर करेगी। खनन योजना बनाने का जिम्मा भी उन्हीं कंपनियों को सौंपा जाएगा, जिन्हें भारत सरकार के खान मंत्रालय ने अधिकृत किया है। खनन योजना तैयार करने पर खर्च होने वाली राशि की वसूली रेत खदान लेने वाले ठेकेदारों से की जाएगी।
बता दें कि वर्तमान में खनन योजना और पर्यावरण स्वीकृति लेने की जिम्मेदारी खदान का ठेका लेने वाले ठेकेदार की ही है। अधिकतर मामलों में ठेकेदार छह माह से सालभर तक यह स्वीकृतियां नहीं ले पाते हैं। इस कारण खदान से रेत खनन शुरू नहीं हो पाता। जिससे उन्हें और सरकार को घाटा होता है।
अक्टूबर में हो सकते हैं नए ठेके
वर्ष 2019 में लागू की गई रेत नीति की अवधि समाप्त हो रही है। सरकार नई रेत नीति ला रही है, जो अक्टूबर में लागू की जा सकती है। नई नीति में ठेकेदारों का भी परामर्श लिया गया है। वहीं अधिकतर ठेकेदारों ने कहा है कि वर्तमान रेत नीति की अवधि एक साल बढ़ाई जाए। क्योंकि कोरोना संक्रमण के चलते वे करीब डेढ़ साल खनन नहीं कर पाए हैं। वहीं जिन ठेकेदारों ने दूसरी बार निकाली गईं निविदाओं में खदानों के ठेके लिए हैं, वे उतनी पूंजी भी नहीं निकाल पाए हैं, जितनी लगाई है