वैभव श्रीधर, नईदुनिया, भोपाल। अपने निर्वाचन क्षेत्र में छोटे और मझोले विकास कार्य करवाने के लिए विधायकों को सरकार का मुंह न देखना पड़े, इसके लिए स्थानीय निर्वाचन क्षेत्र विकास निधि बढ़ाई जाएगी। इसे उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, दिल्ली, उत्तराखंड और केरल की तर्ज पर पांच करोड़ रुपये करने की तैयारी है।
यह अभी आधी यानी ढाई करोड़ रुपये प्रतिवर्ष है। इसे बढ़ाने की मांग लंबे समय से हो रही थी, इस पर अब जाकर सहमति बनी है। आगामी बजट में इसकी घोषणा होगी और यह वित्तीय वर्ष 2026-27 से प्रभावी की जाएगी।
चाहे भाजपा के विधायक हों या फिर कांग्रेस के, सभी स्थानीय निर्वाचन क्षेत्र विकास निधि यानी विधायक निधि बढ़वाना चाहते हैं। दरअसल, कई काम ऐसे होते हैं जो किसी योजना में नहीं आते हैं या फिर बड़ी योजना में सम्मिलित नहीं हो पाते।
ऐसे कामों के लिए स्थानीय निर्वाचन क्षेत्र विकास निधि का प्रविधान किया गया। वर्ष 2016-17 से इसे एक करोड़ रुपये प्रतिवर्ष किया गया। इसमें से पांच लाख रुपये प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में मुख्यमंत्री ग्राम पथ योजना के अंतर्गत कामों के लिए सुरक्षित करवाए गए।
इस राशि को फिर बढ़ाकर ढाई करोड़ रुपये और 75 लाख रुपये स्वेच्छानुदान किया गया लेकिन विधायक इससे संतुष्ट नहीं हैं। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार का कहना है कि विधायकों से जनता की बहुत अपेक्षाएं होती हैं। मजरे-टोले की सड़क, नाली, चौक-चौराहों का विकास, स्कूल या आंगनवाड़ी में अतिरिक्त कक्ष का निर्माण, सामुदायिक भवन, उद्यान सहित कई अन्य छोटे-मोटे काम इस निधि से कराए जाते हैं लेकिन यह राशि अपर्याप्त होती है। इसे देखते हुए निधि ढाई से बढ़ाकर पांच करोड़ रुपये प्रतिवर्ष और स्वेच्छानुदान एक करोड़ रुपये करने की मांग की जा रही है।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार, संसदीय कार्य मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के बीच विधायकों से जुड़ी मांगों को लेकर प्रारंभिक चर्चा हो चुकी है। आगामी बजट में विधायक निधि सहित अन्य सुविधाओं का विस्तार की घोषणा कर वित्तीय वर्ष 2026-27 से प्रविधान लागू करने की तैयारी है।
देश में सर्वाधिक विधायक निधि दिल्ली में दी जाती थी। यह 10 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष थी, जिसे आतिशी सरकार ने बढ़ाकर 15 करोड़ रुपये कर दिया था। अब भाजपा सरकार ने इसे घटाकर पांच करोड़ रुपये किया है।
मध्य प्रदेश सरकार ने भाजपा के विधायकों के क्षेत्र में विकास के लिए 15-15 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष के हिसाब से अलग से कार्ययोजना भी बनवाई है। इसमें अधोसंरचना विकास से लेकर उन कामों को प्राथमिकता में रखा है, जो दूसरी योजनाओं में शामिल नहीं हैं। कांग्रेस इसे लेकर भाजपा सरकार पर विकास को लेकर भेदभाव करने का आरोप लगाती है।