ROB पर इंजीनियरों की लापरवाही से बना 90 डिग्री का अंधा मोड़, जनता के 17 करोड़ 37 लाख गए पानी में
भोपाल के ऐशबाग रेलवे ओवरब्रिज में 90 डिग्री का अंधा मोड़ बनना बड़ी इंजीनियरिंग चूक है। विशेषज्ञों ने इसे जानलेवा बताया है। निर्माण में विभागीय लापरवाही, नेताओं की चुप्पी और समन्वय की कमी उजागर हुई है। कांग्रेस ने विरोध जताया है। जांच जारी है, लेकिन सुधार संभव नहीं।
Publish Date: Sat, 14 Jun 2025 09:40:33 PM (IST)
Updated Date: Sun, 15 Jun 2025 07:15:08 AM (IST)
भोपाल अंधे ब्रिज को लेकर कांग्रेस ने सरकार पर हमला बोला। (फाइल फोटो)HighLights
- ऐशबाग आरओबी में बना 90 डिग्री का अंधा मोड़
- पांच वरिष्ठ इंजीनियरों की निगरानी में हुई बड़ी चूक
- कांग्रेस ने प्रदर्शन कर सरकार पर साधा निशाना
नईदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में बन रहे ऐशबाग रेलवे ओवरब्रिज (आरओबी) को लेकर एक चौंकाने वाली तकनीकी चूक सामने आई है। 17.37 करोड़ की लागत से तैयार हो रहे इस पुल में इंजीनियरों ने 90 डिग्री का अंधा मोड़ बना दिया है, जो ट्रैफिक इंजीनियरिंग के लिहाज से एक गंभीर भूल मानी जा रही है।
विशेषज्ञ इसे रोड इंजीनियरिंग की सबसे बड़ी गलती बता रहे हैं। यह पुल साल 2022 में शुरू हुआ था। अगस्त 2024 तक इसका निर्माण पूरा होना था, लेकिन अब तक काम अधूरा है। इस गलती ने पीडब्ल्यूडी और रेलवे जैसे जिम्मेदार विभागों की कार्यशैली को कठघरे में ला खड़ा किया है।
पांच इंजीनियरों की निगरानी में हुई तकनीकी भूल
- इस आरओबी की देखरेख की जिम्मेदारी लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के ब्रिज सेक्शन के पांच वरिष्ठ इंजीनियरों के पास थी, जिनका नाम मुख्य अभियंता जीपी वर्मा, पूर्व एसडीओ रवि शुक्ला, वर्तमान एसडीओ गोविंद रघुवंशी, कार्यपालन यंत्री जावेद शकील और सहायक यंत्री है।
- उसके बावजूद 90 डिग्री के अंधे मोड़ जैसी गंभीर तकनीकी चूक कैसे हो गई, यह बड़ा सवाल है। चौंकाने वाली बात यह भी है कि इस गलती के उजागर होने से पहले ही जावेद शकील का तबादला कर दिया गया, जबकि उनकी सेवानिवृत्ति में सिर्फ 10 माह बचे हैं। पूर्व एसडीओ रवि शुक्ला को पहले ही एक अन्य ब्रिज निर्माण में लापरवाही के चलते निलंबित किया जा चुका है।
मंत्री और जनप्रतिनिधियों की चुप्पी पर सवाल
- स्थानीय विधायक और मंत्री विश्वास सारंग कई बार इस पुल का निरीक्षण कर चुके हैं। दो माह पहले हुए निरीक्षण में उन्होंने इंजीनियरों को 15 जून तक काम पूरा करने की सख्त हिदायत दी थी, लेकिन इस अंधे मोड़ को लेकर उन्होंने कोई सवाल नहीं उठाया।
- पीडब्ल्यूडी मंत्री राकेश सिंह ने अब तक एक बार भी निर्माण स्थल का निरीक्षण नहीं किया। उनसे सवाल किया गया तो उन्होंने जवाब दिया कि विभागीय स्तर पर जांच चल रही है। रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।
निर्माण के लिए नहीं मिली पूरी जगह
इस तकनीकी चूक के पीछे विभागों के बीच समन्वय की कमी भी उजागर हो रही है। कार्यपालन यंत्री जावेद शकील ने बताया कि आरओबी के एक तरफ रेलवे लाइन और दूसरी तरफ मेट्रो का काम चल रहा था। रेलवे को तीन मीटर और मेट्रो को आधा मीटर जगह की जरूरत थी। उसके बाद बची जगह पर पुल को फिट किया गया। शकील का कहना है कि अगर रेलवे सहयोग करता, तो यह खामी नहीं आती।
विशेषज्ञों ने बताया जानलेवा मोड़
मौलाना आजाद नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (मैनिट) के प्रोफेसर डॉ. राहुल तिवारी ने कहा कि 90 डिग्री का मोड़ रोड इंजीनियरिंग की बहुत बड़ी गलती है। "इस मोड़ पर वाहन भले ही धीमी रफ्तार से चलें, फिर भी दुर्घटना की संभावना बनी रहेगी। वाहन टकरा सकते हैं।"
कांग्रेस ने जताया विरोध
इस मामले में कांग्रेस सरकार पर हमलावर हो गई है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने पूछा कि आखिर पीडब्ल्यूडी ने इस तरह के डिजाइन को मंजूरी कैसे दे दी। उन्होंने इसे "मौत का मैदान" बताया। उन्होंने कहा कि सरकार को चेतना चाहिए। शनिवार को कांग्रेस नेता मनोज शुक्ला की अगुवाई में कार्यकर्ता ब्रिज स्थल पर पहुंच पूजा-पाठ कर आम जनता की सुरक्षा की प्रार्थना की और सरकार को चेतावनी दी।
रिपोर्ट अब तक नहीं बनी
- पीडब्ल्यूडी मंत्री राकेश सिंह के निर्देश के बाद पीडब्ल्यूडी, रेलवे और राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के बीच पत्राचार तो शुरू हुआ, लेकिन तीन दिन बाद भी जांच रिपोर्ट नहीं बन पाई है।
- राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के इंजीनियरों ने दोबारा ब्रिज का निरीक्षण किया। उन्होंने बताया कि अब डिजाइन में बड़ा बदलाव संभव नहीं है। फिलहाल इसे अत्यंत धीमी गति से केवल हल्के वाहनों के उपयोग के लिए खोला जाएगा।